क्या 80 वर्षीय महिला को जिंदा ही मुर्दाघर में रखा गया? जानिए इस चौंकाने वाली घटना के बारे में
एक असामान्य घटना का खुलासा
नई दिल्ली : लॉस एंजेलेस के बॉयल हाइट्स में रहने वाली 80 वर्षीय मारिया डी जीसस अरोयो का मामला एक दुर्भाग्यपूर्ण और असामान्य घटना के रूप में सामने आया है। जुलाई 2010 में उन्हें हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें व्हाइट मेमोरियल मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और उनका शव अस्पताल के मुर्दाघर में रेफ्रिजरेटेड फ्रीजर में रख दिया। परिवार का आरोप है कि उन्हें जीवित ही फ्रीजर में डाल दिया गया था।
फ्रीजर में जागने के बाद की घटना
फ्रीजर में होश आने के बाद हुई मौत
रिपोर्टों के अनुसार, फ्रीजर में रखे जाने के कुछ समय बाद मारिया को होश आया। उन्होंने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन अत्यधिक ठंड के कारण वे सफल नहीं हो पाईं। जब अंतिम संस्कार गृह के कर्मचारी उनके शव को लेने पहुंचे, तो पाया गया कि बॉडी बैग आधा खुला था और महिला औंधे मुंह पड़ी हुई थीं। उनके चेहरे और शरीर पर चोटों के निशान थे, जो इस बात का संकेत थे कि वे जागने और बाहर निकलने की कोशिश कर रही थीं।
परिवार का मुकदमा और न्यायालय की सुनवाई
जिंदा होने के बावजूद फ्रीजर में रखा
परिवार ने आरोप लगाया कि महिला को जीवित रहने के बावजूद फ्रीजर में रखा गया था। इस घटना के आधार पर उन्होंने 2011 में लापरवाही का मुकदमा दायर किया। 2012 में रोगविज्ञानी डॉ. विलियम मैनियन की रिपोर्ट के बाद, परिवार ने चिकित्सा कदाचार और गलत तरीके से हुई मौत के लिए अतिरिक्त मुकदमा दायर किया। मैनियन ने निष्कर्ष निकाला कि मारिया तब होश में थीं और फ्रीजर में से बाहर निकलने का प्रयास करते समय उन्हें चोटें आईं, जिससे उनकी मृत्यु हुई।
मामला पुनः न्यायालय में खुला
मामला पुनः न्यायालय में खुला
पहले निचली अदालत ने कानूनी सीमाओं के आधार पर मामले को खारिज कर दिया था। हाल ही में कैलिफोर्निया के द्वितीय जिला अपील न्यायालय ने मामले को फिर से खोलने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि वादी के पास यह संदेह करने का पूरा अधिकार था कि महिला को मृत घोषित करने के समय वह जीवित थीं। अब इस मामले की पुन: सुनवाई होगी, जिससे यह स्पष्ट किया जाएगा कि अस्पताल की लापरवाही के कारण महिला की मृत्यु हुई या नहीं।