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गरासिया जनजाति की अनोखी लिव-इन परंपरा: विवाह से पहले की आज़ादी

गरासिया जनजाति की लिव-इन रिलेशनशिप की परंपरा भारत में विवाह की पारंपरिक धारणाओं से अलग है। इस समुदाय में युवक-युवतियां विवाह से पहले एक साथ रहते हैं और महिलाओं को बच्चे पैदा करने की स्वतंत्रता होती है। जानें कैसे यह अनोखी परंपरा आज भी जीवित है और इसके पीछे का इतिहास क्या है।
 

गरासिया जनजाति का लिव-इन रिलेशनशिप


गरासिया जनजाति का लिव-इन रिलेशनशिप: भारत में, जहां अधिकांश परिवार लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले गर्भवती होने को सामाजिक दृष्टि से गलत मानते हैं, वहीं राजस्थान और गुजरात की गरासिया जनजाति में ये प्रथाएं एक परंपरा का हिस्सा हैं। इस जनजाति के युवक-युवतियां विवाह से पहले एक साथ रहते हैं और बाद में शादी करने या न करने का निर्णय लेते हैं। इस समुदाय में महिलाओं को शादी से पहले बच्चे को जन्म देने की भी स्वतंत्रता है।


खुले विचार और पारंपरिक रीति-रिवाज

गरासिया जनजाति में विवाह के लिए परिवार या समाज की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। यहां एक ऐसा तंत्र है जहां महिलाएं अपने साथी को पसंद न आने पर बिना किसी संकोच के उसे बदल सकती हैं। यह समुदाय राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में निवास करता है।


गरासिया जनजाति की शादी की प्रक्रिया

यहां पर दो दिनों तक चलने वाला 'सामूहिक विवाह समारोह' आयोजित किया जाता है, जिसमें कई पुरुष और महिलाएं शामिल होते हैं। इस मेल-जोल के दौरान, यदि कोई महिला किसी पुरुष को पसंद करती है, तो उसे उसके साथ रहने की अनुमति मिल जाती है। इसके बाद दोनों मिलकर तय करते हैं कि वे विवाह करना चाहते हैं या नहीं।


विवाह से पहले की स्वतंत्रता

गरासिया जनजाति में महिलाओं को विवाह से पहले बच्चे को जन्म देने की स्वतंत्रता दी जाती है। यदि महिला और पुरुष इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो परिवार की ओर से भव्य विवाह का आयोजन किया जाता है। यदि महिला के पहले साथी की मृत्यु हो जाती है, तो वह बिना किसी सामाजिक दबाव के नया साथी चुन सकती है।


गरासिया जनजाति का इतिहास

कहा जाता है कि गरासिया जनजाति के चार भाइयों में से तीन ने शादी की और परिवार बसाए, लेकिन उनकी संतान नहीं हुई। वहीं चौथे भाई ने बिना शादी के लिव-इन संबंध बनाए और संतान को जन्म दिया। यहीं से यह परंपरा शुरू हुई, जो आज गरासिया समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।