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Greater Noida: शारदा यूनिवर्सिटी की छात्रा की आत्महत्या पर सीबीआई जांच की मांग

ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी की बीडीएस छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में नया मोड़ आया है। परिजनों ने मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की है, यह आरोप लगाते हुए कि शिक्षकों की मानसिक प्रताड़ना इसके पीछे है। घटना के बाद सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें ज्योति ने प्रताड़ना का जिक्र किया था। पुलिस ने कुछ प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया, लेकिन वे जमानत पर रिहा हो गए। परिवार और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह मामला शिक्षा संस्थानों में मानसिक शोषण की गंभीरता को दर्शाता है।
 

ज्योति शर्मा की आत्महत्या का मामला

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी की बीडीएस छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में नया मोड़ आया है। छात्रा के परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की अपील की है। परिवार का मानना है कि मामले की निष्पक्षता के लिए सीबीआई जांच आवश्यक है।


सीएम को पत्र में उठाए गए सवाल

ज्योति के पिता रमेश जांगड़ा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि उनकी बेटी की आत्महत्या के पीछे विश्वविद्यालय के शिक्षकों की मानसिक प्रताड़ना का हाथ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जिन शिक्षकों पर गंभीर आरोप हैं, उन्हें जमानत मिल गई है। इसलिए, मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है।


सुसाइड नोट और पुलिस की कार्रवाई

18 जुलाई की रात, ज्योति शर्मा ने अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के बाद, पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें ज्योति ने अपने शिक्षकों द्वारा की गई प्रताड़ना का उल्लेख किया था। इस आधार पर नॉलेज पार्क थाना पुलिस ने छह नामजद और कुछ अज्ञात प्रोफेसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।


जमानत पर रिहाई और परिजनों की चिंताएं

पुलिस ने जांच के दौरान दो प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया, लेकिन वे जल्द ही जमानत पर रिहा हो गए। परिजनों का आरोप है कि जांच की गति धीमी है, जिससे उन्हें सीबीआई जांच की आवश्यकता महसूस हो रही है।


न्याय की मांग और सामाजिक संगठनों का समर्थन

ज्योति शर्मा के परिवार और स्थानीय सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह मामला केवल आत्महत्या का नहीं है, बल्कि यह एक शिक्षा संस्थान में मानसिक प्रताड़ना और शोषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। उनका मानना है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो अन्य छात्र-छात्राएं भी ऐसे हालातों का शिकार हो सकते हैं।