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अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण के लिए अभिजीत मुहूर्त का महत्व

25 नवंबर को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने का ऐतिहासिक क्षण आने वाला है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अभिजीत मुहर्त का चयन किया गया है, जो न केवल शुभ है बल्कि महाभारत युद्ध की शुरुआत से भी जुड़ा है। जानें इस विशेष मुहर्त का महत्व, इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएँ और राम मंदिर के ध्वजारोहण के लिए इसे क्यों चुना गया है।
 

धर्म ध्वज का ऐतिहासिक क्षण


नई दिल्ली: 25 नवंबर को अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर के शिखर पर एक ऐतिहासिक घटना घटित होने जा रही है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर पर 'धर्म ध्वज' फहराने वाले हैं, और इस पवित्र अनुष्ठान के लिए चुना गया मुहूर्त अत्यंत खास है, जिसे अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है।


अभिजीत मुहूर्त का महत्व

हिंदू परंपरा में यह समय न केवल शुभ माना जाता है, बल्कि यह मान्यता भी है कि महाभारत युद्ध की शुरुआत का आदेश भगवान श्रीकृष्ण ने इसी मुहूर्त में दिया था। इसलिए राम मंदिर के ध्वजारोहण के लिए इसका चयन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक आधार रखता है।


अभिजीत मुहूर्त की परिभाषा

अभिजीत मुहूर्त क्या है? ज्योतिष शास्त्र में दिन को कई खंडों में बांटा जाता है, जिनमें से कुछ शुभ और कुछ अशुभ माने जाते हैं। अभिजीत मुहर्त को सर्वश्रेष्ठ और प्रभावी माना गया है।


अभिजीत का अर्थ

अर्थ और महत्व: 'अभिजीत' का अर्थ है, जो विजय प्राप्त कर चुका हो। यह समय सभी बाधाओं, दोषों और नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर देता है, इसलिए इसे नए और मंगल कार्यों की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम माना गया है।


अभिजीत मुहर्त का समय

कब आता है यह मुहूर्त? अभिजीत मुहर्त दिन के मध्य भाग में आता है, यानी दोपहर के समय। सूर्योदय से सूर्यास्त के कुल समय को 15 समान भागों में बांटने पर आठवां भाग अभिजीत कहलाता है, जिसकी औसत अवधि लगभग 48 मिनट होती है।


स्वयं सिद्ध मुहर्त

स्वयं सिद्ध मुहर्त: यह समय स्वयं सिद्ध माना गया है, अर्थात् यह तिथि, नक्षत्र, वार या अन्य पंचांग संबंधित दोषों से प्रभावित नहीं होता। इसलिए किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत बेधड़क इस समय में की जा सकती है।


महाभारत में अभिजीत मुहर्त

महाभारत में अभिजीत मुहर्त की भूमिका: अभिजीत मुहर्त की महिमा का उल्लेख महाभारत में मिलता है। कथा के अनुसार, युद्ध शुरू करने से पहले कई ज्योतिषियों ने अलग-अलग मत दिए थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अभिजीत मुहर्त को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए अर्जुन को इसी समय शंखनाद कर युद्ध का आरंभ करने का आदेश दिया।


राम मंदिर के लिए अभिजीत मुहर्त का चयन

राम मंदिर के लिए अभिजीत मुहर्त का चयन क्यों? अयोध्या का राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आस्था, संघर्ष और धैर्य का प्रतीक है। ऐसे में ध्वजारोहण के लिए सर्वोत्तम और विजयदायक मुहर्त का चयन बेहद अर्थपूर्ण है।


विजय का प्रतीक

विजय का प्रतीक: राम मंदिर का निर्माण सदियों के विवादों और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद संभव हुआ है। इसे एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विजय माना जाता है। अभिजीत मुहर्त स्वयं विजय का सूचक है, इसलिए यह क्षण और अधिक पवित्र और सार्थक माना गया है।


बाधाओं का निवारण

बाधाओं का निवारण: माना जाता है कि यह मुहर्त किसी भी नकारात्मक ऊर्जा या अवरोध को दूर कर कार्य को सिद्धि प्रदान करता है। राम मंदिर जैसे विशाल आध्यात्मिक प्रकल्प के लिए यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है।


भगवान राम से जुड़ी मान्यता

भगवान राम से भी जुड़ी है यह घड़ी: कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म भी अभिजीत मुहर्त में हुआ था। इसलिए उनके मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने के लिए यही समय सबसे उपयुक्त और भावनात्मक रूप से गहरे अर्थ वाला माना जा रहा है।