आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: लाभ और खामियों का विश्लेषण
एआई का प्रभाव और सीईओ की सैलरी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने पूरी दुनिया में एक नई चर्चा का विषय बना दिया है। इसके महत्व को हर क्षेत्र में स्वीकार किया जा रहा है, और इसके प्रभाव भी स्पष्ट हैं। एआई के चलते बड़ी टेक कंपनियों के सीईओ की सैलरी में वृद्धि हो रही है, और उनके शेयरों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला की सैलरी में इस वर्ष 152 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जिससे उनका कुल वेतन लगभग 847 करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि एआई के कारण हुई है, जिसने कंपनी के शेयरों में भी उछाल लाया।
नौकरियों पर एआई का प्रभाव
यह स्थिति केवल माइक्रोसॉफ्ट तक सीमित नहीं है; एआई की लहर में सभी कंपनियां शामिल हैं। दूसरी ओर, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने चेतावनी दी है कि एआई लगभग 1,80,000 नौकरियों को प्रभावित कर सकता है। उनकी कंपनी ने 13,000 कर्मचारियों की छंटनी की है, और अमेजन ने भी 18,000 नौकरियों में कटौती की योजना बनाई है। इस प्रकार, जहां कुछ लोगों की आय बढ़ रही है, वहीं लाखों लोग अपनी नौकरियों से वंचित हो रहे हैं।
एआई की खामियां
हालांकि, हम एआई के लाभों के बजाय इसकी खामियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पत्रकार शेखर गुप्ता ने एक लेख में एआई की गलतियों का पर्दाफाश किया है। उन्होंने एआई टूल ग्रोक से वीरता पुरस्कारों के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन ग्रोक ने गलत जानकारी दी। यह दर्शाता है कि एआई टूल्स कभी-कभी गलत सूचना को सही तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं।
प्रोपेगेंडा और एआई
शेखर गुप्ता ने यह भी बताया कि एआई टूल्स का उपयोग प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया जा सकता है। जब उन्होंने सही जानकारी मांगी, तो ग्रोक ने गलती स्वीकार की और सही जानकारी दी। इससे यह स्पष्ट होता है कि एआई टूल्स को आसानी से गलत दिशा में मोड़ा जा सकता है।
एआई का नैरेटिव सेट करने की क्षमता
एआई टूल्स का उपयोग करके नैरेटिव सेट करना और प्रोपेगेंडा फैलाना अब आसान हो गया है। उदाहरण के लिए, चीन के बनाए एआई टूल्स को इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है कि वे केवल चीन के हितों को प्राथमिकता देते हैं। इसी तरह, इलॉन मस्क के ग्रोकपीडिया ने भी तथ्य प्रस्तुत करने में भेदभाव किया है।
एआई की चापलूसी करने की क्षमता
स्टैनफोर्ड और कार्नेगी मेलॉन के अध्ययन के अनुसार, एआई इंसानों से 50% अधिक चापलूसी कर सकता है। ये टूल्स उपयोगकर्ताओं को वही सुनाते हैं जो वे सुनना चाहते हैं, भले ही यह गलत हो। यह दर्शाता है कि एआई का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
तीसरी औद्योगिक क्रांति में, तकनीक पर इंसान का नियंत्रण कम होता जा रहा है। एआई अब केवल एक टूल नहीं है, बल्कि यह एक स्वायत्त एजेंट बनता जा रहा है। इसलिए, इसकी खामियां चिंताजनक हैं।