कुंभ राशि के जातकों के लिए शनिदेव की साढ़ेसाती का अंत कब होगा?
शनि की प्रभावशीलता
शनि की दृष्टि का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है, जो सुख-दुख और सफलता-असफलता का निर्धारण करती है। शनि देव को मेहनत, सत्य और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। जो लोग ईमानदारी से जीवन जीते हैं, उन पर शनिदेव की कृपा होती है, जिससे उन्हें न्याय और सफलता मिलती है। वर्तमान में शनिदेव मीन राशि में विराजमान हैं, जिसके कारण तीन राशियों के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। कई जातकों के मन में यह सवाल है कि क्या साल 2026 में कुंभ राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी।
कुंभ राशि का महत्व
कुंभ राशि कर्मफलदाता शनिदेव की राशि है और महादेव की आराधना का प्रतीक है। कुंभ राशि का शुभ रंग नीला है और इसका रत्न नीलम है। भगवान शिव की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जातक को इच्छित वरदान प्राप्त होता है।
शनि का गोचर
शनि का गोचर सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से होता है। न्याय देवता एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं और फिर राशि परिवर्तन करते हैं। शनिदेव का राशि परिवर्तन सभी राशियों पर प्रभाव डालता है। एक राशि के जातकों को साढ़ेलसाती और दो राशियों के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलती है।
शनिदेव का राशि परिवर्तन
वर्तमान में शनिदेव मीन राशि में हैं और 02 जून, 2027 तक वहीं रहेंगे। 3 जून 2027 को शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे, जिससे कुंभ राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की पूजा करें। सोमवार और शनिवार को स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। आप गंगाजल में काले तिल मिलाकर भी अभिषेक कर सकते हैं। रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें और सोमवार तथा शनिवार को सफेद और काले वस्त्रों का दान करें।