×

क्या रूस-अमेरिका तनाव से बढ़ेंगी तेल की कीमतें? जानें विशेषज्ञों की राय

रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के चलते वैश्विक तेल आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। वेंचुरा के एनएस रामास्वामी ने भविष्यवाणी की है कि 2025 तक तेल की कीमतें 76 से 82 डॉलर के बीच रह सकती हैं। यदि रूस पर और प्रतिबंध लगते हैं, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकती हैं। जानें इस संकट का वैश्विक तेल बाजार पर क्या असर पड़ेगा।
 

वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर

Global Oil Supply: रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के चलते वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है, जिससे आने वाले महीनों में तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। ऑयल मार्केट के विशेषज्ञों का मानना है कि इस भू-राजनीतिक संकट के कारण ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो वैश्विक ऊर्जा बाजार पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इस संकट का असर तेल की कीमतों पर बढ़ते दबाव के रूप में देखा जा सकता है, जो पहले से ही ऊंची दरों पर कारोबार कर रही हैं। मीडिया से बातचीत में विशेषज्ञों ने कहा कि इस स्थिति में कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है, जिससे वैश्विक तेल बाजार में हलचल मच सकती है।


तेल की कीमतों में वृद्धि का अनुमान

तेल की कीमतों में वृद्धि का अनुमान

वेंचुरा में कमोडिटीज और CRM हेड एनएस रामास्वामी ने भविष्यवाणी की है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें अक्टूबर 2025 तक 72.07 डॉलर से शुरू होकर 76 डॉलर तक पहुंच सकती हैं। 2025 के अंत तक यह कीमत 80-82 डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। रामास्वामी ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए 10-12 दिन का समय दिया है, और यदि ऐसा नहीं होता है तो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लग सकते हैं। इससे तेल की कीमतों में और भी वृद्धि हो सकती है.


रूस से तेल आयात करने वाले देशों की चुनौतियाँ

रूस से तेल आयात करने वाले देशों को समस्या

यदि डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा उठाए गए कदमों से रूस पर अधिक प्रतिबंध लगते हैं, तो रूस से कच्चा तेल आयात करने वाले देशों के लिए यह कठिनाई का कारण बन सकता है। इन देशों को यह निर्णय लेना होगा कि वे कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदें या अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी-भरकम एक्सपोर्ट टैरिफ का सामना करें। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) कच्चे तेल की कीमतें भी मौजूदा 69.65 डॉलर से बढ़कर 73 डॉलर तक जा सकती हैं। 2025 के अंत तक यह कीमत 76-79 डॉलर तक पहुंच सकती है, हालांकि इसकी निचली सीमा 65 डॉलर पर रह सकती है.


तेल सप्लाई संकट और दबाव

तेल सप्लाई संकट और दबाव

विशेषज्ञों का मानना है कि रूस से तेल निर्यात में कमी आने से वैश्विक आपूर्ति संकट बढ़ सकता है। इसका असर वैश्विक तेल बाजार पर पड़ सकता है, जिससे 2026 तक तेल की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'रूस हर दिन वैश्विक तेल आपूर्ति में 50 लाख बैरल तेल निर्यात करता है। अगर रूस को वैश्विक आपूर्ति से बाहर कर दिया जाता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं या इससे भी अधिक हो सकती हैं.'