दर्श अमावस्या: महत्व, पूजा विधि और पितृ दोष के उपाय
दर्श अमावस्या, जो मार्गशीर्ष मास में आती है, पितरों के तर्पण और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन है। इस दिन स्नान, दान और पूजा विधि का पालन करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जानें इस दिन के महत्व, शुभ संयोग और पितृ दोष से मुक्ति के उपाय।
Nov 19, 2025, 12:57 IST
दर्श अमावस्या का महत्व
आज दर्श अमावस्या है, जो मार्गशीर्ष मास में आती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के लिए तर्पण करने की विशेष परंपरा है। दर्श अमावस्या को पितरों के तर्पण के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि।
दर्श अमावस्या के बारे में जानकारी
मार्गशीर्ष मास भगवान कृष्ण का प्रिय महीना है। इस दौरान सच्चे मन से पूजा करने पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस महीने की अमावस्या तिथि को पितृ दोष शांति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान और दान करने की परंपरा है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन पितरों के तर्पण और जरूरतमंदों की सहायता के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।
दर्श अमावस्या पर शुभ संयोग
दर्श अमावस्या के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जैसे:
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 5 बजे से 5:54 बजे तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 1:53 बजे से 2:35 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 5:26 बजे से 5:53 बजे तक।
अमृत काल - 20 नवंबर मध्यरात्रि से 2:53 बजे तक।
निशिता मुहूर्त - रात 11:40 बजे से 12:34 बजे तक।
पूजा विधि
पंडितों के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीरें रखकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें। इसके बाद जलाभिषेक करें और प्रसाद अर्पित करें। अंत में मंत्रों का जाप करें।
दर्श अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं
अगहन अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या के समान है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से भगवान विष्णु, श्री कृष्ण और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं, इसलिए श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है।
गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन अपने इष्ट देव की पूजा करें और दान करें।
पितृ दोष के उपाय
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और पंचबलि कर्म करने का विधान है। इस दिन पितरों के लिए स्नान, दान और तर्पण करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
दान का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन अनाज, उड़द और कंबल का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पक्षियों को दाना डालना भी लाभकारी होता है।
भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, अछोदा नामक आत्मा ने गर्भ धारण किया और एक कन्या को जन्म दिया। पितृ लोक की आत्माओं ने उसे पृथ्वी पर जन्म लेने का सुझाव दिया। इस प्रकार, अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण की प्रथा शुरू हुई।
दर्श अमावस्या का महत्व
पंडितों के अनुसार, यह दिन पितरों को समर्पित है। इस दिन किए गए अनुष्ठान पितृ दोष को दूर करने और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और सुख के लिए पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करते हैं।