×

भगवान विष्णु के अवतार: नरसिंह और वामन की कहानियाँ

इस लेख में भगवान विष्णु के दो प्रमुख अवतारों, नरसिंह और वामन की कहानियों का वर्णन किया गया है। जानें कैसे भगवान ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और दैत्यराज बलि के घमंड को तोड़ा। यह पौराणिक कथाएँ न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं।
 

भगवान विष्णु के अवतारों का महत्व

जब भी धरती पर अधर्म का प्रकोप बढ़ता है, तब भगवान श्रीहरि विष्णु धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। भक्तों की संकट में मदद करने के लिए भगवान स्वयं प्रकट होते हैं। उदाहरण के लिए, भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु भगवान ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया। त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया, जो उनके पांचवे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। इससे पहले भगवान ने मत्स्य, कूर्म, वाराह और नरसिंह के रूप में अवतार लिया। इस लेख में हम नरसिंह और वामन अवतार की कहानियों पर चर्चा करेंगे।


नरसिंह अवतार की कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, एक समय ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हिरण्याक्ष और दूसरे का हिरण्यकश्यप था। भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध करने के लिए वराह अवतार लिया। हिरण्यकश्यप ने अपने भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए कठोर तप किया और ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि न तो घर में, न बाहर, न दिन में, न रात में, न मनुष्य से और न पशु से उसका वध होगा।


इस वरदान के बाद, हिरण्यकश्यप ने इंद्र से युद्ध कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और अपने अहंकार के चलते प्रजा से खुद को भगवान के रूप में पूजने का आदेश दिया। उसने भक्तों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।


हालांकि, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, जो अपने पिता के विपरीत था। हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रह्लाद का वध करने का प्रयास किया, लेकिन हर बार असफल रहा। अंततः, भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया।


भगवान नरसिंह ने दिन और रात के बीच के समय में आधे मानव और आधे शेर का रूप धारण किया। उन्होंने हिरण्यकश्यप को दरवाजे के बीच में लिटा कर अपने नाखूनों से उसका वध किया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।


वामन अवतार की पौराणिक कथा

दैत्यराज बलि एक शक्तिशाली राजा था, जिसने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था। वह भगवान विष्णु का भक्त था और दान-पुण्य करता था, लेकिन अपने बल का गलत इस्तेमाल करने लगा। देवी-देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी।


भगवान विष्णु ने वचन दिया कि वह बलि के घमंड को तोड़ेंगे। त्रेतायुग में, उन्होंने मां अदिति और ऋषि कश्यप के पुत्र के रूप में वामन अवतार लिया।


भगवान विष्णु ने बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया और राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। बलि ने वचन दिया, हालांकि उसके गुरु ने चेतावनी दी। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर पहले पग में पूरी धरती और दूसरे पग में स्वर्ग नापा। जब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा, तो बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।


इस प्रकार भगवान वामन ने बलि का घमंड तोड़ा और उसे पाताल का राजा बना दिया। भगवान विष्णु की कृपा से बलि ने पाताल लोक में अनंतकाल तक राज किया।