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भारत के युवाओं के स्वास्थ्य पर खतरा: मुख्य आर्थिक सलाहकार की चेतावनी

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंता नागेश्वरन ने चेतावनी दी है कि अत्यधिक प्रसंस्कृत भोजन और बढ़ता स्क्रीन समय युवाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। उन्होंने उद्योग जगत से जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया और निजी क्षेत्र को स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुसार, विकसित भारत की दिशा में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सकारात्मक पहलू भी हैं। जानें उनके विचार और सुझाव इस लेख में।
 

Viksit Bharat 2047: युवाओं के स्वास्थ्य पर चिंता

Viksit Bharat 2047: भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंता नागेश्वरन ने चेतावनी दी है कि अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और बढ़ता स्क्रीन समय देश की जनसंख्या की संपत्ति के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं, जो युवाओं के स्वास्थ्य और भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने यह बात 29 मई को CII की वार्षिक आमसभा में कही, जिसमें उद्योग जगत को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराया।


नागेश्वरन ने बताया कि बड़ी कंपनियां सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट के जरिए अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का प्रचार कर रही हैं, जिससे युवाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी केवल मुनाफे का 2 प्रतिशत दान करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव होना चाहिए।'


प्राइवेट सेक्टर की जिम्मेदारी

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हम अपनी युवा पीढ़ी को क्या दे रहे हैं और उनकी सेहत और भविष्य के लिए क्या कर सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जिसे हमें स्वीकार करना चाहिए।


विकसित भारत की राह में चुनौतियाँ

अपने भाषण में अनंता नागेश्वरन ने विकसित भारत की दिशा में मध्यावधि चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया और इनसे निपटने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, 'हम एक अस्थिर भू-राजनीतिक और आर्थिक माहौल में हैं, जहां नीतियां और न्यायिक प्रतिक्रियाएं तेजी से बदल रही हैं।'


आशा की किरण

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत को कुछ क्षेत्रों में लाभ मिलने की उम्मीद है, चाहे वैश्विक टैरिफ कैसे भी हों। उन्होंने कहा, 'भारत के पास कुछ सकारात्मक पहलू हैं – ऊर्जा की कीमतें कम हैं और इस साल मौद्रिक नीति विकास के लिए कम प्रतिकूल है।' नागेश्वरन ने समाज में विश्वास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, 'ऊर्जा सुरक्षा और पूंजी आवंटन के अलावा।'