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भूटान का डिजिटल संतुलन: मानसिक शांति और तकनीक का सामंजस्य

भूटान ने डिजिटल डिटॉक्स को एक जीवनशैली के रूप में अपनाया है, जो तकनीक और मानसिक शांति के बीच संतुलन स्थापित करता है। यहां की अनोखी डिजिटल नीति, जिसमें स्मार्टफोन और इंटरनेट के सीमित उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है, अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। भूटान में 'डिजिटल डिटॉक्स वीक' का आयोजन किया जाता है, जहां नागरिकों को कुछ दिनों के लिए तकनीक से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह लेख भूटान की इस अनोखी नीति और इसके सामाजिक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
 

भूटान की अनोखी डिजिटल नीति

आज की तेज़-तर्रार दुनिया में स्मार्टफोन और इंटरनेट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम इनसे कितनी देर तक दूर रह सकते हैं? अधिकांश लोग घंटों अपने मोबाइल में लगे रहते हैं, जिससे मोबाइल एडिक्शन एक गंभीर समस्या बन गई है। हालांकि, भूटान जैसे देश ने डिजिटल जीवन और मानसिक शांति के बीच एक अद्भुत संतुलन स्थापित किया है।


भूटान ने तकनीक को न तो पूरी तरह से नकारा है और न ही इसे अंधाधुंध अपनाया है। इस देश ने स्मार्टफोन और इंटरनेट के उपयोग को सीमित किया है, ताकि लोग मानसिक शांति और सामाजिक संबंधों को प्राथमिकता दे सकें। भूटान का 'ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस' (GNH) का सिद्धांत इस दिशा में महत्वपूर्ण है। 1972 में राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने यह विचार प्रस्तुत किया कि किसी देश का विकास केवल आर्थिक मापदंडों से नहीं, बल्कि उसके नागरिकों की खुशहाली और आंतरिक संतोष से होना चाहिए।


इस नीति के तहत भूटान में समाज का विकास इस तरह से किया जाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो, संस्कृति सुरक्षित रहे, और लोगों की मानसिक स्थिति तनावमुक्त रहे। यहां लोग अपने जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं, जहां काम, परिवार और समाज के लिए समय निकाला जाता है।


भूटान में 'डिजिटल डिटॉक्स वीक' का आयोजन किया जाता है, जिसमें नागरिकों को कुछ दिनों के लिए मोबाइल, टीवी, और सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाता है। स्कूलों में बच्चों को सोशल मीडिया के सीमित और उद्देश्यपूर्ण उपयोग के बारे में सिखाया जाता है।


यहां इंटरनेट की गति जानबूझकर धीमी रखी जाती है, और सरकार ने तकनीकी विकास को धीमी रफ्तार से अपनाया है ताकि लोग इसके लती न बनें। सोशल मीडिया और फेक न्यूज़ पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, ताकि समाज पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।


भूटान की संस्कृति बौद्ध धर्म पर आधारित है, जिसमें आत्मनिरीक्षण और ध्यान का महत्व है। यहां के धार्मिक स्थलों पर मोबाइल फोन का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कार्यस्थलों पर भी 'टेक्नोलॉजी ब्रेक्स' का पालन किया जाता है, जिससे कर्मचारियों को मानसिक शांति मिलती है।


हालांकि, भूटान का यह मॉडल कई देशों के लिए प्रेरणा है, लेकिन इसके कुछ फायदे और नुकसान भी हैं। सीमित तकनीक के कारण भूटान के आर्थिक विकास में कुछ रुकावटें आती हैं।


भूटान ने डिजिटल डिटॉक्स को एक ट्रेंड नहीं, बल्कि जीवनशैली के रूप में अपनाया है। यह दुनिया को यह संदेश देता है कि मोबाइल और इंटरनेट का सीमित और उद्देश्यपूर्ण उपयोग किया जाए।