महिला जलयात्रा अभियान ने रचा इतिहास, भारतीय सेना का गर्व
महिला जलयात्रा अभियान की सफलता
भारत की तीनों सेनाओं का महिला जलयात्रा अभियान, जिसे 'समुद्र प्रदक्षिणा' कहा जाता है, ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह दल श्रीलंका के तटों को पार कर अब भूमध्य रेखा को भी पार कर चुका है, जो एक ऐतिहासिक क्षण है। भारतीय सेना ने इसे साहस, लचीलापन और नारी शक्ति का प्रतीक बताया है, जो भारत की भावना को वैश्विक महासागरों तक पहुंचा रहा है।
समुद्र प्रदक्षिणा का महत्व
भारतीय सेना की खेल और साहसिक कार्य इकाई ने सोशल मीडिया पर साझा किया कि यह अभियान 11 सितंबर को रक्षा मंत्री द्वारा गर्व के साथ शुरू किया गया था। इस अभियान में शामिल सभी महिला चालक दल ने श्रीलंका के तटों को पार किया और अब वे भूमध्य रेखा को पार कर रहे हैं। यह हर समुद्री मील नारी शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक है।
टीम की संरचना और प्रशिक्षण
इस 10 सदस्यीय दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर कर रही हैं, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी राजू, मेजर करमजीत कौर, और अन्य शामिल हैं। टीम ने तीन साल का कठोर प्रशिक्षण लिया, जिसमें क्लास-बी जहाजों पर छोटे अभियानों से लेकर क्लास-ए नौका आईएएसवी त्रिवेणी तक की यात्रा शामिल है।
आगामी चुनौतियाँ
'समुद्र प्रदक्षिणा' में महिला दल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें दक्षिणी महासागर में केप हॉर्न की परिक्रमा करना शामिल है। यह चरण दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच होगा, जो नाविक कौशल की अंतिम परीक्षा मानी जाती है।
वैज्ञानिक अनुसंधान
इस अभियान के दौरान, टीम राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगी, जिसमें सूक्ष्म प्लास्टिक का अध्ययन और समुद्री जीवन का दस्तावेजीकरण शामिल है।
पिछले सफल अभियान
इससे पहले, सर रॉबिन नॉक्स-जॉनस्टन ने 1969 में बिना रुके एकल परिक्रमा पूरी की थी। भारत में, कैप्टन दिलीप डोंडे ने 2009-10 में पहला एकल परिक्रमा अभियान पूरा किया।