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माघ मास में एकोदिष्ट श्राद्ध: पितरों को समर्पित विशेष कर्म का महत्व

माघ मास में एकोदिष्ट श्राद्ध का विशेष महत्व है, जो पितरों को समर्पित होता है। यह श्राद्ध मुख्य रूप से मृत पिता और पितामह के लिए किया जाता है। जानें इस श्राद्ध का शुभ मुहूर्त और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता। हर साल माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जब पांडवों ने भीष्म पितामह का श्राद्ध किया था। इस लेख में हम एकोदिष्ट श्राद्ध के महत्व और इसे करने का सही समय जानेंगे।
 

माघ मास का धार्मिक महत्व


हिंदू धर्म में हर महीने का एक विशेष धार्मिक महत्व होता है, लेकिन माघ मास को विशेष पुण्यदायी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह महीना मां गंगा को समर्पित है। इस दौरान गंगा स्नान, दान, तप और पूजा का विशेष महत्व होता है। देशभर से श्रद्धालु इस पावन महीने में तीर्थराज प्रयाग पहुंचकर कल्पवास करते हैं और नियमित रूप से गंगा स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं।


एकोदिष्ट श्राद्ध का महत्व

माघ मास में केवल स्नान और दान ही नहीं, बल्कि पितरों की शांति के लिए कुछ विशेष कर्म भी किए जाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कर्म है एकोदिष्ट श्राद्ध, जिसका धार्मिक महत्व है। आइए जानते हैं कि एकोदिष्ट श्राद्ध क्या है, इसे कब किया जाता है और इसका शुभ समय क्या है।


एकोदिष्ट श्राद्ध की परिभाषा

धर्माचार्यों के अनुसार, एकोदिष्ट श्राद्ध पितरों को समर्पित एक विशेष श्राद्ध कर्म है। यह मुख्य रूप से मृत पिता और पितामह के लिए किया जाता है। इसके अलावा, किसी विशेष पुरुष की पुण्यतिथि पर भी एकोदिष्ट श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को एक विशेष श्राद्ध किया जाता है, जिसे भीष्म पितामह से जोड़ा जाता है। इसी दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण काल में अपने प्राण त्यागे थे।


भीष्म पितामह का श्राद्ध

माघ शुक्ल अष्टमी को हर साल भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भीष्म पितामह का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध विशेष फलदायी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि भीष्म पितामह का श्राद्ध कोई भी सामान्य व्यक्ति कर सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भीष्म पितामह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद पांडवों ने उनका विधिवत श्राद्ध और तर्पण किया था।


एकोदिष्ट श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 25 जनवरी को रात 11 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि 26 जनवरी को रात 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार भीष्म अष्टमी और एकोदिष्ट श्राद्ध 26 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध करने का शुभ समय सुबह 11 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इसी अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पितरों के निमित्त दान करना उत्तम माना गया है।