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मार्गशीर्ष अमावस्या: पूजा विधि और महत्व

मार्गशीर्ष अमावस्या, जो इस वर्ष 20 नवंबर को मनाई जाएगी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पितरों की पूजा भी की जाती है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में। दान और स्नान का विशेष महत्व है, जो पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
 

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने एक बार यह तिथि आती है। ठंड के मौसम में आने वाली अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर में होती है। इस वर्ष, मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पितरों की भी पूजा की जाती है, जो पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।


मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?


हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 19 नवंबर को सुबह 9:43 बजे शुरू होगी और 20 नवंबर को 12:16 बजे समाप्त होगी। इसलिए, उदया तिथि के अनुसार, 20 नवंबर को अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


पूजा विधि


- सबसे पहले, सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर की सफाई करें।



- फिर, गणेश जी को प्रणाम करें।



- इसके बाद, भगवान विष्णु को पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।



- मंदिर में घी का दीपक जलाएं।



- श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें।



- भक्ति भाव से भगवान विष्णु की आरती करें।



- तुलसी दल के साथ भोग लगाएं।



- अंत में, क्षमा प्रार्थना करें।


मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व


इस दिन दान और स्नान का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर दान करने से पितृ दोष के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना आवश्यक है। गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन देने से जीवन में चल रहे सभी कष्ट दूर होते हैं।