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वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

मुख्य द्वार का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है। सही दिशा, आकार, रंग और सफाई से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। जानें कैसे मुख्य द्वार को सजाने और बनाए रखने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस लेख में हम मुख्य द्वार के वास्तु टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आपके घर के वातावरण को बेहतर बनाने में सहायक होंगे।
 

मुख्य द्वार का महत्व


नई दिल्ली: घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल घर में प्रवेश का मार्ग है, बल्कि यह घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के संतुलन को भी प्रभावित करता है। यदि द्वार की दिशा, आकार, रंग और स्वच्छता का ध्यान रखा जाए, तो परिवार में सुख-शांति और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्य द्वार पर छोटी-छोटी गलतियां भी जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं। द्वार को हमेशा सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने के लिए सजाना चाहिए।


मुख्य द्वार की दिशा

वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या ईशान कोण में होना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती हैं। दक्षिण और पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश करवा सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सही दिशा में द्वार होने से परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य और करियर बेहतर होता है।


द्वार का आकार और ऊँचाई

मुख्य द्वार का आकार बड़ा और ऊँचा होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और घर में तरक्की के अवसर आते हैं। बहुत छोटा या अत्यधिक सजाया गया द्वार नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। वास्तु के अनुसार, द्वार के सामने कोई बाधा या झंडे नहीं होने चाहिए।


रंग और सजावट का महत्व

मुख्य द्वार के रंग में हल्के और सकारात्मक रंग जैसे पीला, हरा या हल्का नीला शुभ माने जाते हैं। द्वार पर धार्मिक प्रतीक, जैसे ओम, स्वास्तिक या कलश लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। लाल या काले रंग से बचना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मकता ला सकता है।


सफाई और रख-रखाव

मुख्य द्वार हमेशा साफ-सुथरा और खुला होना चाहिए। धूल, जाले या टूट-फूट द्वार पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है। नियमित सफाई और द्वार के हैंडल, ताले आदि की मरम्मत सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती है।


द्वार के आसपास की जगह

मुख्य द्वार के पास खुला और व्यवस्थित स्थान होना चाहिए। पेड-पौधे और अच्छी रोशनी सकारात्मक वाइब्स बढ़ाते हैं। इसके अलावा, द्वार के सामने कभी भी भारी वस्तुएँ या अवरोध नहीं होने चाहिए, जिससे ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो।