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शनिवार का व्रत: शनिदेव की कृपा पाने के उपाय

शनिदेव को कर्मफल दाता माना जाता है, और शनिवार का व्रत उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगता है और मानसिक शांति प्राप्त करता है। जानें इस व्रत के नियम, विधि और इसके लाभ, जिससे आप शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
 

शनिदेव का महत्व और व्रत का उद्देश्य

शनिदेव को कर्मफल दाता माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि ग्रह की गति अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी होती है, और उनकी दृष्टि से अशुभ प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए, शनिदेव को न्यायप्रिय देवता माना जाता है। जो लोग श्रद्धा और सच्चे मन से शनिवार का व्रत करते हैं, उनके जीवन से शनि के अशुभ प्रभाव जैसे साढ़ेसाती और महादशा के कष्ट कम हो जाते हैं। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति को न्याय, अनुशासन, और स्वास्थ्य में सुधार मिलता है। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का यह एक सरल तरीका है, जिससे जीवन में सुख और स्थिरता आती है। इसलिए, कई लोग शनिवार को शनिदेव का व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं कि शनिदेव का व्रत कैसे किया जाता है?


क्या शनिदेव के लिए व्रत रखना उचित है?

क्या शनिदेव के लिए व्रत रखना सही है?
शनिदेव का व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या जो शनि की महादशा से गुजर रहे हैं। इस व्रत के माध्यम से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और मानसिक शांति तथा आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। व्रत का मुख्य उद्देश्य शनिदेव से अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगना और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना है। यह व्रत बुरी आदतों को छोड़ने और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए प्रेरित करता है, जो शनिदेव के सिद्धांतों का मूल है।


शनिवार के व्रत-पूजा से जुड़े नियम

शनिवार के व्रत-पूजा से जुड़े नियम
- शनिवार के व्रत और पूजा में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा के दौरान काले या नीले रंग के वस्त्र पहनें।
- शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए, क्योंकि उन्हें पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है। शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' का जाप करें।
- शनिदेव को सरसों का तेल, काला तिल, नीले फूल और काले वस्त्र अर्पित करें। भोग में गुड़ और तिल से बनी वस्तुएं, काले चने या उड़द दाल की खिचड़ी चढ़ाई जाती है।
- दिनभर व्रत रखें। कुछ लोग फलाहार करते हैं, जबकि कुछ लोग शाम को पूजा के बाद नमक रहित भोजन करते हैं। व्रत में नमक का सेवन न करने का प्रयास करें।
- शनिवार को काले कंबल, सरसों का तेल, काला तिल, जूते या लोहे की वस्तुएं किसी गरीब को दान करना शनिदेव को प्रिय है। शनिवार को लोहा, तेल और चमड़े की चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है।
- यह माना जाता है कि शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए उसी दिन तेल खरीदना वर्जित है, इसलिए इसे एक दिन पहले खरीद लेना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, शनिदेव ने हनुमान जी से वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। इसलिए, शनिवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का एक प्रभावी उपाय है।