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सर्व पितृ अमावस्या: श्राद्ध विधि और मुहूर्त की जानकारी

आज, 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है, जिसमें सूर्य ग्रहण और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है। इस दिन श्राद्ध विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है, जिससे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन के विशेष मुहूर्त और श्राद्ध विधि के बारे में विस्तार से।
 

कैसे करें श्राद्ध, जानें विधि, मुहूर्त


Sarva Pitru Amavasya, नई दिल्ली: आज, 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी होगा। इस अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर 3:57 बजे से 57 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे, इसके बाद वे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण रात 10:59 बजे होगा।


सर्व पितृ अमावस्या मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा। राहुकाल का समय 4:48 बजे से 6:19 बजे तक होगा।


सर्वार्थ सिद्धि योग कब से कब तक

सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 21 सितंबर को सुबह 09:32 एएम से 22 सितंबर को 06:09 एएम तक है।


सर्व पितृ अमावस्या पर किसका होता है श्राद्ध

गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि पर श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध नहीं कर पाता है, तो वह अमावस्या तिथि पर सभी के लिए श्राद्ध कर सकता है।


पूर्वजों को होती है मोक्ष की प्राप्ति

अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पूर्णिमा तिथि को मृत लोगों का भी महालय श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।


सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध विधि


  • सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

  • पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करें।

  • गाय, कुत्ते, कौवे, देव, और चींटी के लिए भोजन निकालें।

  • ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।

  • पीपल के पेड़ की पूजा करें और इसकी सात परिक्रमा करें।

  • सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाएं।

  • आप मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ भी लगा सकते हैं।