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15,000 अस्पतालों ने दो बीमा कंपनियों का कैशलेस इलाज बंद करने का निर्णय लिया

देशभर के 15,000 से अधिक अस्पताल एक सितंबर से बजाज एलायंज और केयर हेल्थ का कैशलेस इलाज बंद करने का निर्णय ले चुके हैं। इस कदम के पीछे इलाज की दरों में बदलाव न करने और भुगतान में देरी जैसे कारण बताए जा रहे हैं। इससे लाखों मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जानें इस मुद्दे के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

कैशलेस इलाज पर संकट

नई दिल्ली। देशभर के 15,000 से अधिक अस्पताल एक सितंबर से दो बीमा कंपनियों का कैशलेस इलाज बंद करने जा रहे हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने इलाज की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि चिकित्सा खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा, एएचपीआई ने केयर हेल्थ को भी नोटिस जारी किया है। इस निर्णय से लाखों मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
कैशलेस पॉलिसी को लेकर बीमा कंपनियों और अस्पतालों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया के अधिकारियों के अनुसार, बजाज एलायंज और केयर हेल्थ ने इलाज के खर्च की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि चिकित्सा खर्च में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, भुगतान में भी देरी होती है और दोनों कंपनियां अक्सर अनावश्यक दस्तावेज मांगती हैं, जिससे अस्पतालों को भुगतान में कठिनाई होती है। एएचपीआई के आह्वान पर, 15,000 से अधिक अस्पताल एक सितंबर से इन कंपनियों का कैशलेस इलाज नहीं करेंगे। केयर हेल्थ को नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि मरीजों के कैशलेस बिल भुगतान से संबंधित समस्याओं पर तुरंत चर्चा की जाए।


बजाज एलायंज का पुराना अनुबंध

बजाज एलायंज ने पुराने अनुबंध की दरों को बढ़ाने से किया मना

बजाज एलायंज ने पुराने अनुबंध की दरों में वृद्धि करने से इनकार कर दिया है, जो अस्पतालों का आरोप है। अस्पतालों ने कहा था कि हर दो साल में इलाज खर्च की दरों में वृद्धि होगी, लेकिन इसके बावजूद दोनों कंपनियों ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इसके विपरीत, दोनों कंपनियों ने मरीजों के भर्ती होने पर दवाइयों, जांचों और अस्पताल के कमरे के शुल्क में बिना किसी कारण कटौती करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही, मरीज के डिस्चार्ज होने पर अंतिम बिल की स्वीकृति में भी देरी की जा रही है, जिससे मरीजों को अस्पताल में अधिक समय बिताना पड़ता है। इस पर दोनों कंपनियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।


मरीजों को खुद उठाना होगा खर्च

मरिजों को खुद देना होगा बिल

यदि आपने बजाज एलायंज और केयर हेल्थ से बीमा कराया है, तो एक सितंबर से आपकी परेशानी बढ़ सकती है। भर्ती होने से पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि अस्पताल इन दोनों बीमा कंपनियों का कैशलेस इलाज कर रहे हैं या नहीं। यदि अस्पताल कैशलेस सुविधा नहीं दे रहा है, तो आपको खुद अस्पताल का बिल चुकाना होगा।


बीमा कंपनियों की रणनीति

पहले सस्ती पॉलिसी फिर बढ़ाती है प्रीमियम

बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए पहले सस्ती पॉलिसी पेश करती हैं। जब ग्राहक पॉलिसी ले लेते हैं, तो कंपनियां धीरे-धीरे प्रीमियम बढ़ाना शुरू कर देती हैं। शुरुआत में, सीमित बीमारियों का कवरेज दिया जाता है, और फिर अगले वर्ष गंभीर बीमारियों को भी कवर करने का प्रस्ताव दिया जाता है, जिसके लिए प्रीमियम में थोड़ी वृद्धि होती है। इस पर पॉलिसी धारक सहमत हो जाते हैं, लेकिन अगले वर्ष औसत प्रीमियम में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जाती है।