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एच-1बी वीजा शुल्क के खिलाफ मुकदमा, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर प्रभाव

अमेरिका में एच-1बी वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर के शुल्क के खिलाफ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और शिक्षकों ने संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। इस मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि यह शुल्क नियोक्ताओं और श्रमिकों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। समूह का कहना है कि यह योजना अमेरिका में नवाचार और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकती है। अदालत से इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। जानें इस मामले के संभावित प्रभावों के बारे में।
 

एच-1बी वीजा शुल्क पर कानूनी चुनौती

अमेरिका में एच-1बी वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर के शुल्क के खिलाफ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, धार्मिक संगठनों, विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अन्य समूहों ने शुक्रवार को एक संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया।


इस समूह ने अदालत में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा लागू की गई यह योजना नियोक्ताओं, श्रमिकों और संघीय एजेंसियों के लिए अराजकता का कारण बन गई है।


ट्रंप प्रशासन ने नए एच-1बी कार्य वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का एकमुश्त शुल्क निर्धारित किया है। सैन फ्रांसिस्को में 'यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' में दायर इस मुकदमे में कहा गया है कि एच-1बी कार्यक्रम स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और शिक्षकों की नियुक्ति का एक महत्वपूर्ण साधन है।


मुकदमे में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह अमेरिका में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, साथ ही नियोक्ताओं को विशिष्ट क्षेत्रों में रिक्तियों को भरने का अवसर प्रदान करता है।


'डेमोक्रेसी फॉरवर्ड फाउंडेशन' और 'जस्टिस एक्शन सेंटर' ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, 'यदि इस मामले में कोई राहत नहीं मिलती है, तो अस्पतालों को चिकित्सा कर्मचारियों, गिरजाघरों को पादरियों और कक्षाओं को शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ेगा, जिससे देश भर के उद्योगों में प्रमुख नवोन्मेषकों को खोने का खतरा है।'


इसमें यह भी बताया गया कि मुकदमे में अदालत से इस आदेश पर तुरंत रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।