चीन की आपूर्ति में रुकावट से भारतीय ऑटो उद्योग पर संकट
चीन की आपूर्ति में रुकावट
चीन, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है, ने हाल ही में अपनी असली नीतियों को उजागर करना शुरू कर दिया है। इससे भारतीय ऑटो उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। चीन ने अमेरिका और भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति रोक दी है, जिससे ऑटो कंपनियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नौ भारतीय ऑटो कंपोनेंट निर्माता कंपनियों को चीनी दूतावास से आयात के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन अभी तक आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर अभी तक कोई मंजूरी नहीं दी है। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ये मैग्नेट अत्यंत आवश्यक हैं, और इन्हें गियर सिस्टम और ड्राइव ट्रेन जैसे हिस्सों में उपयोग किया जाता है।एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए चीनी अधिकारियों से बातचीत करने का प्रयास कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस समस्या का समाधान बातचीत के माध्यम से किया जाए। पिछले दो महीनों से रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात रुका हुआ है, और यदि इसमें और देरी होती है, तो यह वाहन उत्पादन में बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकता है। उद्योग ने इस समस्या के बारे में सरकार को सूचित कर दिया है।
एक ऑटो कंपनी के अधिकारी ने कहा कि उद्योग के आकार के अनुसार आयात का मूल्य अपेक्षाकृत कम है, लेकिन यदि एक भी कंपोनेंट की कमी होती है, तो वाहनों का निर्माण संभव नहीं होगा। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने हाल ही में सरकारी अधिकारियों को बताया कि रेयर अर्थ मैग्नेट का स्टॉक घट रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समस्या का समाधान कुछ हफ्तों में नहीं हुआ, तो उत्पादन ठप हो सकता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 306 करोड़ रुपये मूल्य के 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात किया।
दूसरे अधिकारियों का कहना है कि इसका प्रभाव अन्य उद्योगों पर भी पड़ेगा। यह केवल ऑटोमोबाइल तक सीमित नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रिक सर्किट और अन्य उत्पादों पर भी इसका असर होगा। इसका उपयोग एयरोस्पेस, स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में भी किया जाता है।
चीन की इस कार्रवाई से केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे अन्य देशों के उद्योग भी प्रभावित हुए हैं। 4 अप्रैल को चीन ने मध्यम और भारी रेयर अर्थ से संबंधित सामानों के निर्यात पर नियंत्रण लगा दिया। चीन ने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के जवाब में उठाया गया। चीन दुनिया की लगभग 70 प्रतिशत दुर्लभ पृथ्वी धातुओं की आपूर्ति करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों के कारण यह मामला और जटिल हो गया है। 17 भारतीय ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं ने आवेदन जमा किए थे, जिनमें से नौ के लिए अंतिम उपयोगकर्ता प्रमाणपत्र (ईयूसी) को मंजूरी दी गई है। 28 मई को ऑटो उद्योग ने सरकारी अधिकारियों के सामने प्रस्तुति दी, जिसमें कॉन्टिनेंटल ऑटोमोटिव, हिताची एस्टेमो, महाले इलेक्ट्रिक ड्राइव, वैरॉक इंजीनियरिंग और फ्लैश इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों ने ईयूसी पास किया।