भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सुधार के संकेत, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं
भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में सुधार
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में इस सप्ताह सुधार के संकेत मिले हैं, लेकिन अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने अपने कड़े रुख को फिर से दोहराया। सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में लुटनिक ने भारत पर 50% की भारी शुल्क दरों और संभावित व्यापार समझौते पर चर्चा करते हुए कहा, "हम भारत के साथ मसले सुलझा लेंगे... बशर्ते वे रूसी तेल खरीदना बंद कर दें।"
रूसी तेल पर अमेरिकी दबाव
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह बयान भारत द्वारा रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी दबाव के बीच आया है। लुटनिक ने पिछले हफ्ते ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा था, "एक या दो महीने में भारत बातचीत की मेज पर होगा, और वे माफी मांगकर डोनाल्ड ट्रंप के साथ समझौता करने की कोशिश करेंगे।"
मोदी और ट्रंप के बीच सकारात्मक संवाद
मोदी-ट्रंप के बीच सकारात्मक संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल के दिनों में सकारात्मक संवाद देखने को मिला है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि भारत और अमेरिका "दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं।" इसके जवाब में, पीएम मोदी ने बुधवार को कहा, "भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ताएं भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को खोलने का रास्ता बनाएंगी।" चार दिनों में यह दोनों नेताओं के बीच दूसरा सकारात्मक सोशल मीडिया आदान-प्रदान था। दोनों जून में आखिरी बार फोन पर बातचीत के बाद अब जल्द ही फिर से चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।
भारत की स्थिति और चुनौतियाँ
भारत की स्थिति और चुनौतियाँ
भारत और अमेरिका के बीच औपचारिक व्यापार वार्ताएं कुछ हफ्ते पहले रुक गई थीं, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्ष एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संपर्क में हैं। भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार (10 सितंबर) को कहा कि प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए बातचीत "सकारात्मक माहौल" में आगे बढ़ रही है। भारत ने विशेष रूप से कृषि क्षेत्र को लेकर कुछ लाल रेखाएँ खींची हैं, क्योंकि वह नहीं चाहता कि अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में स्थानीय कृषि उपज को प्रभावित करें।
रूसी तेल और शुल्क का दबाव
रूसी तेल और शुल्क का दबाव
लुटनिक ने भारत के रूसी तेल आयात पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा, "यूक्रेन-रूस संघर्ष से पहले भारत अपनी तेल जरूरतों का 2% से भी कम रूस से खरीदता था, लेकिन अब यह 40% तक पहुंच गया है। यह सस्ता तेल खरीदना गलत है।" अमेरिका ने भारत के रूसी तेल खरीद को लेकर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिसे बढ़ाकर 50% तक किया जा सकता है। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, ट्रंप ने मंगलवार को यूरोपीय संघ से भी भारत और चीन पर 100% तक शुल्क लगाने का आग्रह किया ताकि रूस पर यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बनाया जा सके।
आगे की राह
क्या है आगे की राह?
भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हुए रूसी तेल खरीद जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ सदस्य, जैसे व्हाइट हाउस व्यापार सलाहकार पीटर नवारो, ने भी भारत को निशाना बनाया है, जबकि चीन पर रूसी तेल खरीद को लेकर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया। भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का टारगेट रखा है। गोयल और लुटनिक के बीच हाल की मुलाकातें इस दिशा में प्रगति का संकेत देती हैं, लेकिन रूसी तेल और शुल्क के मुद्दे अभी भी चुनौती बने हुए हैं।