रक्षाबंधन पर रेलवे बुकिंग में बढ़ी मुश्किलें, यात्री वैकल्पिक साधनों की तलाश में
उदयपुर में रक्षाबंधन के लिए यात्रा की चुनौतियाँ
रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आते ही उदयपुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले हजारों लोग अपने परिवार से मिलने के लिए रेलवे बुकिंग में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। त्योहार के कारण, जो लोग लंबे समय से शहर से बाहर हैं, वे अपने गांवों और कस्बों की ओर लौटना चाहते हैं, लेकिन ट्रेनों में सीटें मिलना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है। अगस्त के पहले पखवाड़े में कई ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट लंबी हो गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि त्योहार के समय आवागमन का दबाव कितना अधिक होगा। रेलवे स्टेशन पर पूछताछ खिड़कियों पर लंबी कतारें और ऑनलाइन बुकिंग पोर्टलों पर 'वेटिंग' का सामना कर रहे यात्री अब वैकल्पिक परिवहन के साधनों की तलाश में जुट गए हैं।उदयपुर से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और उत्तर भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए चलने वाली प्रमुख ट्रेनों जैसे चेतक एक्सप्रेस, मेवाड़ एक्सप्रेस, बांद्रा टर्मिनस एक्सप्रेस, और अनन्या एक्सप्रेस में 9 से 17 अगस्त के बीच लगभग सभी श्रेणियों में वेटिंग चल रही है। स्लीपर से लेकर थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी तक की बुकिंग में आरएसी और वेटिंग ही दिखाई दे रही है। विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई के लिए चलने वाली ट्रेनों की बुकिंग स्थिति यह दर्शाती है कि रक्षाबंधन से पहले प्रवासी जनों की घर वापसी की योजना पर असर पड़ा है। अब यात्री प्राइवेट बस सेवाओं, शेयर टैक्सियों और यहां तक कि फ्लाइट्स का विकल्प तलाशने लगे हैं, जिससे उनकी जेब पर भी असर पड़ रहा है।
दीवाना शाह उर्स मेले के मद्देनजर, चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए कुछ ट्रेनों के अस्थाई स्टॉपेज की घोषणा की गई है। 1 से 3 अगस्त तक कई ट्रेनों को कपासन स्टेशन पर रोका जाएगा। खजुराहो-उदयपुर, उदयपुर-खजुराहो, बांद्रा टर्मिनस-उदयपुर, कोलकाता-उदयपुर, शालीमार-उदयपुर और जयपुर-असारवा जैसी ट्रेनों को सीमित समय के लिए कपासन में रुकवाया गया है।
त्योहारों के दौरान रेल यात्रा पर निर्भर रहने वाले लाखों लोगों को इस बार अतिरिक्त दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वेटिंग लिस्ट और एसी बुकिंग के बढ़ते चार्ट के कारण रेलवे को स्पेशल ट्रेनों की घोषणा करनी पड़ सकती है, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल अगस्त-सितंबर के त्योहारों के दौरान यही स्थिति बनती है। यदि रेलवे पहले से अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की योजना बनाए, तो यात्रियों को राहत मिल सकती है।