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सुशासन दिवस: एक निरंतर प्रक्रिया जो जनहित में कार्य करती है

राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने सुशासन दिवस के अवसर पर कहा कि यह केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है जो जनहित में कार्य करती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सुशासन की व्यवस्था स्थापित की है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य अच्छे शासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और उन्हें जन-जन तक पहुंचाना है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया।
 

सुशासन दिवस का महत्व



  • सुशासन दिवस का उद्देश्य: अच्छे शासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देना

  • जिला स्तर पर सुशासन दिवस समारोह का आयोजन


जींद। राज्यसभा के सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए देश में सुशासन की व्यवस्था स्थापित की है, जिससे भ्रष्टाचार मुक्त और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार करना सरकार का मुख्य उद्देश्य है।


सुशासन दिवस की निरंतरता








सुशासन की निरंतर प्रक्रिया


कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि सुशासन दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह पारदर्शिता, जवाबदेही और जनकल्याण से जुड़ी एक निरंतर प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि हर साल 25 दिसंबर को इस दिवस को मनाया जाता है, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अच्छे शासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और उन्हें जन-जन तक पहुंचाना है।


अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान

स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान


उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी जनता की सेवा को प्राथमिकता दें और योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने का प्रयास करें। वाजपेयी जी के कार्यकाल में सुशासन की स्थापना में केंद्र और राज्य सरकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दोनों सरकारों का उद्देश्य पारदर्शिता और जनहितकारी शासन व्यवस्था को सुनिश्चित करना है।


राज्यसभा सदस्य ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 19 से 25 दिसंबर तक गुड गवर्नेस सप्ताह मनाया है, जिसमें लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमें वाजपेयी जी के विचारों को याद रखना चाहिए, क्योंकि उनके स्थापित सुशासन के सिद्धांत आज भी प्रशासनिक व्यवस्था को दिशा दे रहे हैं।