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GST परिषद ने नई दो-स्लैब कर प्रणाली को मंजूरी दी

GST परिषद ने अपनी 56वीं बैठक में एक नई दो-स्लैब कर प्रणाली को मंजूरी दी है, जो 22 सितंबर, 2025 से लागू होगी। इस नई व्यवस्था में आवश्यक वस्तुओं पर 5% और मानक वस्तुओं पर 18% कर लगाया जाएगा। हालांकि, तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा कर व्यवस्था बनी रहेगी। जानें इस नई प्रणाली का तंबाकू उत्पादों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
 

GST परिषद की 56वीं बैठक में ऐतिहासिक निर्णय

GST परिषद की बैठक: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने अपनी 56वीं बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए GST 2.0 के तहत एक नई सरल दो-स्लैब कर प्रणाली को स्वीकृति दी है। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर, 2025 से लागू होगी। हालांकि, तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों को इस नए ढांचे में शामिल करने में अभी और समय लगेगा।


परिषद ने स्पष्ट किया कि पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, जर्दा, अनिर्मित तंबाकू और बीड़ी जैसे उत्पाद, जो 'पाप कर' की श्रेणी में आते हैं, वर्तमान जीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर व्यवस्था के तहत ही बने रहेंगे।


नई जीएसटी प्रणाली: दो-स्लैब ढांचा

जीएसटी परिषद ने नई कर प्रणाली के तहत दो मुख्य स्लैब पेश किए हैं:


5% कर: आवश्यक या 'मेरिट' वस्तुओं पर लागू।
18% कर: मानक वस्तुओं और सेवाओं के लिए।


इसके अतिरिक्त, 'पाप' और विलासिता उत्पादों के लिए 40% का एक विशेष स्लैब भी निर्धारित किया गया है। यह नई प्रणाली कर ढांचे को सरल बनाने और उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


तंबाकू उत्पादों पर 'पाप कर' की स्थिति

तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर मौजूदा कर व्यवस्था लागू रहेगी। वर्तमान में सिगरेट पर 28% जीएसटी के साथ-साथ क्षतिपूर्ति उपकर लगाया जाता है, जो विशिष्ट और यथामूल्य शुल्कों का मिश्रण है। उदाहरण के लिए, सिगरेट की लंबाई के आधार पर विशिष्ट उपकर 2.1 रुपये से 4.2 रुपये प्रति सिगरेट तक हो सकता है। इसके अलावा, 74 मिमी तक की सिगरेट पर 5% और 84 मिमी तक की सिगरेट पर 36% का यथामूल्य कर भी लागू होता है।


'पाप कर' का महत्व और प्रभाव

'पाप कर' उन उत्पादों पर लगाया जाता है, जिन्हें सामाजिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक माना जाता है। ये कर न केवल उपभोग को हतोत्साहित करते हैं, बल्कि सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व भी उत्पन्न करते हैं। परिषद के अनुसार, “अकेले सिगरेट की खपत देश के सकल घरेलू उत्पाद के 1% से अधिक को प्रभावित करती है।” इस राजस्व का उपयोग अक्सर जन कल्याणकारी योजनाओं, जैसे स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक पहलों को बढ़ावा देने में किया जाता है।


राजस्व और उपभोग पर प्रभाव

तंबाकू जैसे 'पाप' उत्पादों पर कर की प्रकृति मूल्य-अनियंत्रित होती है, क्योंकि इनके आदी उपभोक्ता ऊँची कीमतों के बावजूद खरीदारी जारी रखते हैं। परिषद ने कहा, “चूंकि पाप वस्तुओं पर कर अत्यधिक मूल्य-अनियंत्रित होते हैं, सरकार कम खपत के बजाय ज्यादा राजस्व की उम्मीद करती है।” यह रणनीति न केवल स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद करती है, बल्कि सामाजिक कल्याण के लिए धन भी जुटाती है।