MCLR दरों में कटौती: ग्राहकों को मिलेगी राहत
MCLR दरों में बदलाव
MCLR दरों में बदलाव: भारत के कई प्रमुख बैंकों ने अपने ग्राहकों को राहत प्रदान की है। उन्होंने सीमांत निधि लागत-आधारित ऋण दर (MCLR) में कमी की है। यह निर्णय उन लाखों ग्राहकों के लिए फायदेमंद होगा जिन्होंने फ्लोटिंग-रेट लोन लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अक्टूबर की बैठक में रेपो दर को 5.50% पर बनाए रखने के बाद, बैंकों ने खुदरा ग्राहकों को राहत देने के लिए MCLR में संशोधन किया।
MCLR क्या है?
MCLR का मतलब सीमांत निधि लागत-आधारित ऋण दर है, जो वह न्यूनतम दर है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को ऋण प्रदान करते हैं। जब MCLR में कमी की जाती है, तो फ्लोटिंग-रेट लोन की मासिक किस्त (EMI) कम हो सकती है या लोन की अवधि घट सकती है।
हालांकि नए फ्लोटिंग रेट लोन आमतौर पर EBLR (एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट) से जुड़े होते हैं, लेकिन MCLR से जुड़े मौजूदा लोन ग्राहकों को इस कटौती का सीधा लाभ मिलेगा। MCLR में बदलाव का प्रभाव लोन की रीसेट तिथि से शुरू होता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की नई MCLR दरें
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 12 अक्टूबर, 2025 से अपनी MCLR दरों में संशोधन किया है। एक महीने की MCLR को 7.95% से घटाकर 7.90% कर दिया गया है। इसी तरह, छह महीने की MCLR 8.65% से घटाकर 8.60% कर दी गई है, और एक साल की दर 8.80% से घटाकर 8.75% कर दी गई है। हालांकि, ओवरनाइट और तीन महीने की दरें अपरिवर्तित रहेंगी।
IDBI बैंक की कटौती दरें
IDBI बैंक ने भी अपनी कुछ MCLR दरों में कटौती की है। ओवरनाइट MCLR को 8.05% से घटाकर 8% कर दिया गया है, और एक महीने की MCLR 8.20% से घटाकर 8.15% कर दी गई है। हालांकि, तीन महीने, छह महीने और एक साल की दरें अपरिवर्तित रहेंगी। एक साल की MCLR 8.75% पर बनी रहेगी।
इंडियन बैंक ने भी दी राहत
इंडियन बैंक ने अपने ग्राहकों को राहत प्रदान की है। बैंक ने ओवरनाइट MCLR को 8.05% से घटाकर 7.95% कर दिया है, जबकि एक महीने की MCLR 8.30% से घटाकर 8.25% कर दी गई है। तीन महीने, छह महीने और एक साल की दरें क्रमशः 8.45%, 8.70% और 8.85% पर अपरिवर्तित रहेंगी।
MCLR दरों में संशोधन से होगा सीधा लाभ
MCLR में यह कमी उन लाखों ग्राहकों के लिए एक बड़ा वरदान है जिनके ऋण MCLR से जुड़े हैं। बैंकों द्वारा अपनी MCLR दरों में संशोधन करने से मौजूदा ग्राहकों की EMI पर सीधा असर पड़ेगा, हालांकि यह प्रभाव उनके ऋण समझौते में निर्दिष्ट पुनर्निर्धारण अवधि के बाद ही दिखाई देगा। इस कदम से त्योहारी सीज़न के दौरान ग्राहकों की जेब पर बोझ कम करने और अर्थव्यवस्था में ऋण की मांग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।