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RBI की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5% पर बनाए रखा, जानें इसके मायने

भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सभी सदस्यों की सहमति से लिया गया है। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इस स्थिरता का अर्थ है कि RBI वर्तमान आर्थिक स्थिति को संतुलित मानता है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भारत की आर्थिक स्थिति को वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बताया। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
 

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का निर्णय

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। यह महत्वपूर्ण घोषणा गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद की गई, जिसमें सभी छह सदस्यों ने इस फैसले का समर्थन किया। यह समिति देश की मौद्रिक नीति और ब्याज दरों से संबंधित निर्णयों को निर्धारित करती है.


रेपो रेट की परिभाषा

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराता है। जब यह दर घटती है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है, जिससे आम लोगों और व्यवसायों के लिए ऋण की लागत में कमी आती है। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। लेकिन इस बार रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय यह दर्शाता है कि RBI वर्तमान वित्तीय स्थिति को संतुलित मानता है और कोई तात्कालिक परिवर्तन आवश्यक नहीं समझता.


अर्थव्यवस्था की स्थिति

इस वर्ष की शुरुआत में, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए RBI ने कुल 1% की कटौती की थी। फरवरी, अप्रैल और जून में क्रमशः 25, 25 और 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई थी। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के बाद कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बनी हुई है। उन्होंने देश की आंतरिक आर्थिक क्षमताओं और सुधारात्मक कदमों की सराहना करते हुए भविष्य को आशाजनक बताया.


एमपीसी के सदस्य

मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों में संजय मल्होत्रा (गवर्नर), पूनम गुप्ता (डिप्टी गवर्नर), राजीव रंजन, नागेश कुमार, सौगत भट्टाचार्य और प्रो. राम सिंह शामिल हैं.