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RBI ने विदेशी मुद्रा बाजार में 3.66 बिलियन डॉलर की बिक्री की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में विदेशी मुद्रा बाजार में 3.66 बिलियन डॉलर की बिक्री की है, जिससे रुपये की स्थिरता में सुधार हुआ है। यह कदम महंगाई को नियंत्रित करने और बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए उठाया गया है। जानें कि RBI ने ऐसा कदम क्यों उठाया और इसका आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

भारतीय रिजर्व बैंक का बड़ा कदम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में विदेशी मुद्रा बाजार में 3.66 बिलियन डॉलर (लगभग 30,000 करोड़ रुपये) की बिक्री की है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, और जब भी RBI ऐसा करता है, इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर पड़ता है। लेकिन सवाल यह है कि RBI को ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?


जब बाजार में किसी चीज़ की मांग अचानक बढ़ जाती है, जैसे कि टमाटर, और उसकी आपूर्ति कम हो जाती है, तो उसकी कीमतें बढ़ जाती हैं। विदेशी मुद्रा बाजार में भी यही स्थिति होती है। जब डॉलर की मांग बढ़ती है, जैसे कि विदेशी निवेशक अपने पैसे निकालते हैं या आयातक डॉलर खरीदते हैं, तो डॉलर की कीमत बढ़ने लगती है। इसका मतलब है कि भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है।


कमजोर रुपये का प्रभाव:



  • महंगाई में वृद्धि: जो चीजें हम विदेश से मंगाते हैं, जैसे पेट्रोल और मोबाइल के पार्ट्स, उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं।

  • विदेश यात्रा और शिक्षा महंगी: विदेश जाने या पढ़ाई का खर्च बढ़ जाता है।


RBI हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है। जब वह देखता है कि रुपया तेजी से कमजोर हो रहा है, तो वह बाजार में हस्तक्षेप करता है। वह अपने भंडार से डॉलर बेचकर बाजार में उसकी आपूर्ति बढ़ाता है, जिससे डॉलर की कीमत पर नियंत्रण पाया जा सकता है। RBI का 3.66 बिलियन डॉलर बेचना इसी रणनीति का हिस्सा है।


यह कदम भारतीय रुपये को स्थिर रखने और बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक था। यह दर्शाता है कि RBI बाजार की गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए तत्पर है।