SEBI की नई पहल: डेरिवेटिव्स और IPO में निवेशकों के लिए लचीलापन
SEBI की नई पहलों का उद्देश्य
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के हितों की सुरक्षा और बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। SEBI के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे ने हाल ही में बताया कि बाजार नियामक डेरिवेटिव्स अनुबंधों की अवधि और परिपक्वता को बढ़ाने के विकल्पों पर विचार कर रहा है।डेरिवेटिव्स में नई दिशा: पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें कई खुदरा निवेशक भी शामिल हैं। सट्टेबाजी के जोखिमों को कम करने के लिए, SEBI ने पहले अनुबंध की समाप्ति की संख्या को सीमित किया और लॉट साइज़ को बढ़ाया, जिससे ऐसे सौदों को अधिक अनुशासित और महंगा बनाया जा सके। अब, SEBI का उद्देश्य डेरिवेटिव्स अनुबंधों को लंबी अवधि के लिए उपलब्ध कराना है, जिससे बाजार सहभागियों को अधिक लचीलापन मिलेगा।
अनलिस्टेड कंपनियों के लिए विश्वसनीय सूचना प्लेटफॉर्म: श्री पांडे ने यह भी बताया कि SEBI अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और स्टॉक एक्सचेंजों के सहयोग से अनलिस्टेड कंपनियों के लिए एक विनियमित प्लेटफॉर्म बनाने पर काम करेगा। इस प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक होने की योजना बना रही कंपनियों की विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध होगी, जिससे निवेशकों को IPO में निवेश करने से पहले IPO-पूर्व फर्मों के प्रदर्शन को ट्रैक करना आसान होगा। यह कदम निवेशक संरक्षण और बाजार की पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
बड़े IPO के लिए नियमों में ढील का प्रस्ताव: इसके अतिरिक्त, SEBI ने हाल ही में बड़ी कंपनियों के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लॉन्च करने के नियमों को सरल बनाने का प्रस्ताव दिया है। परामर्श पत्र में न्यूनतम सार्वजनिक पेशकश आवश्यकताओं में छूट और सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करने के लिए अधिक समय देने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं। वर्तमान में, बड़ी कंपनियों को स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होने पर अपने शेयरों का एक बड़ा हिस्सा जनता को बेचना पड़ता है, जिससे बहुत बड़े IPO आते हैं जो बाजार के लिए एक साथ अवशोषित करना मुश्किल हो सकता है। SEBI का नया प्रस्तावित सिस्टम कंपनियों पर एक साथ इतने सारे शेयर बेचने के तत्काल दबाव को कम करेगा, जबकि उन्हें समय के साथ धीरे-धीरे सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों को पूरा करने की अनुमति देगा।
SEBI का दोहरी रणनीति: नियामक का यह नवीनतम कदम भारतीय बाजारों में डेरिवेटिव्स और IPO निवेश की बढ़ती मांग को निवेशक संरक्षण के साथ संतुलित करने पर इसके फोकस को दर्शाता है।