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अमिताभ कांत का एच-1बी वीजा बदलाव पर भारत के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने एच-1बी वीजा में बदलाव को भारत के नवाचार के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है। उनका मानना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्क से भारतीय प्रतिभाओं को अपने देश में लौटने का अवसर मिलेगा। जानें इस बदलाव का भारतीय तकनीकी केंद्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और कैसे यह भारत के विकास में सहायक होगा।
 

भारत के नवाचार में एच-1बी वीजा बदलाव का प्रभाव

नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी-20 के पूर्व शेरपा अमिताभ कांत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा में किए गए बदलावों को भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक संभावित लाभ बताया है। उनका मानना है कि प्रति वीजा आवेदन पर एक लाख डॉलर का शुल्क विदेशी प्रतिभाओं के प्रवाह को बाधित करेगा, जिससे वैश्विक प्रतिभाएं भारत के तकनीकी केंद्रों जैसे बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर आकर्षित होंगी।

ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर का शुल्क लगाने की घोषणा के बाद, कांत ने सोशल मीडिया पर इस बात पर जोर दिया कि भारत के प्रमुख डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका के लिए हानिकारक लेकिन भारत के लिए फायदेमंद होगा। कांत ने लिखा कि ट्रंप का यह शुल्क अमेरिकी नवाचार को रोक देगा और भारत के नवाचार को बढ़ावा देगा। अमेरिका द्वारा वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाजे बंद करने से, अगली लहर के प्रयोगशालाएं, पेटेंट और स्टार्टअप्स बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर बढ़ेंगे।

अमेरिका में विदेशी कामगारों पर नया शुल्क

अमेरिका ने कुशल विदेशी कामगारों के लिए एच-1बी आवेदनों पर भारी वार्षिक शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। यह उपाय 21 सितंबर से लागू होगा और इसका उद्देश्य एच-1बी कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकना है, खासकर आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा। स्नैपडील के पूर्व सीईओ कुणाल बहल ने कहा कि नए नियमों के कारण बड़ी संख्या में कुशल पेशेवर भारत लौट सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में मौजूद अवसरों को देखते हुए यह बदलाव उनके लिए फायदेमंद साबित होगा। एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि तकनीकी मध्यस्थता मॉडल को प्रभावित कर सकती है, लेकिन भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों की वृद्धि देखी जा सकती है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी कहा है कि एच-1बी का मूल उद्देश्य अत्यधिक कुशल विदेशी प्रतिभाओं को लाना था, जिसे अब विकृत किया जा रहा है। नए आदेश के अनुसार, नियोक्ताओं को एच-1बी आवेदन करते समय भुगतान का प्रमाण देना होगा, और इसके प्रवर्तन की निगरानी अमेरिकी विदेश विभाग और गृह सुरक्षा विभाग करेंगे।