अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापारिक तनाव: एक नई आर्थिक लड़ाई
अमेरिका और ब्रिक्स के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव
हाल के समय में अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापारिक तनाव में तेजी आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन देशों पर भारी आयात शुल्क लगाने के साथ ही उन्हें 'अमेरिका-विरोधी' भी करार दिया है। ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका डॉलर के उपयोग को समाप्त करने की ब्रिक्स देशों की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
टकराव की शुरुआत
2 अप्रैल को ट्रंप ने अपने 'लिबरेशन डे टैरिफ़' की घोषणा की, जिसके बाद अमेरिका ने कई देशों के खिलाफ कड़ा व्यापारिक रुख अपनाया, जिसमें ब्रिक्स भी शामिल है। ब्रिक्स का नाम ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के पहले अक्षरों से बना है। 2009 में BRIC समूह की स्थापना हुई थी, जिसमें 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया।
टैरिफ और आर्थिक स्थिति
चीन- अमेरिका का टैरिफ वॉर सबसे पहले चीन पर केंद्रित रहा। ट्रंप ने चीन पर भारी शुल्क लगाया, जो अप्रैल में 145% तक पहुंच गया था, लेकिन बाद में इसे घटाकर 30% किया गया। चीन की अर्थव्यवस्था ब्रिक्स में सबसे बड़ी है, जिसकी जीडीपी 2023 में $18.3 ट्रिलियन रही।
भारत- भारत भी ट्रंप प्रशासन के निशाने पर रहा है। जब भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर सहमत नहीं हुआ, तो ट्रंप ने 25% शुल्क लगाया। इसके बाद, रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी लगाया गया।
रूस- रूस को अप्रैल के 'लिबरेशन डे टैरिफ़' से छूट मिली, लेकिन अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव बनाया।
ब्राज़ील- ब्राज़ील पर पहले 10% शुल्क लगाया गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
दक्षिण अफ्रीका- दक्षिण अफ्रीका पर अमेरिका ने 30% शुल्क लगाया है।
अमेरिका बनाम ब्रिक्स: ताकत का संतुलन
अमेरिका की जीडीपी 2023 में $27.36 ट्रिलियन है, जो विश्व अर्थव्यवस्था का लगभग 25% है। वहीं, ब्रिक्स देशों की संयुक्त जीडीपी $26.6 ट्रिलियन है।
ब्रिक्स देशों की ताकत और कमजोरी का संतुलन अमेरिका के मुकाबले उन्हें बराबरी पर लाने की क्षमता देता है।
ब्रिक्स की सामूहिक क्षमता
ब्रिक्स के पास अमेरिका की बराबरी करने की सामूहिक क्षमता है, लेकिन इसके लिए आंतरिक मतभेदों को समाप्त करना और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।