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अमेरिका का लक्ष्य: भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकना

अमेरिका ने भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने से रोकने के लिए उच्च टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लीविट ने इस कदम को ट्रम्प प्रशासन की आर्थिक कार्रवाई का हिस्सा बताया। इसके अलावा, ट्रम्प ने भारत-पाक संघर्ष को समाप्त करने में अपनी भूमिका का भी दावा किया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और अमेरिका की विदेश नीति के अन्य पहलुओं के बारे में।
 

व्हाइट हाउस का बयान


व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा, हमारा उद्देश्य भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने से रोकना है।


बिजनेस डेस्क : अमेरिका ने यूरोप में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए भारत पर उच्च टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इसका मुख्य उद्देश्य रूस और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को कमजोर करना है, जिससे रूस की आर्थिक स्थिति पर असर पड़े। इस संदर्भ में व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी किया है।


प्रेस सचिव कैरोलीन लीविट ने बताया कि यह कदम ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का हिस्सा है। ट्रम्प ने भारत पर कुल 50 टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसमें 25% का प्रतिशोधात्मक टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% की पैनल्टी शामिल है।


भारत-पाक संघर्ष में ट्रम्प की भूमिका

लीविट ने यह भी दावा किया कि ट्रम्प ने भारत-पाक संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके अनुसार, ट्रम्प ने व्यापार को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर इस संघर्ष को समाप्त किया।


उन्होंने अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच शांति समझौता कराने का भी उल्लेख किया।


रूस-यूक्रेन संघर्ष में अमेरिका की मध्यस्थता

व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रम्प का ध्यान वर्तमान में रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष को समाप्त करने पर केंद्रित है। उन्होंने हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की, जिसमें जेलेंस्की ने इसे उनकी सबसे सफल बातचीत बताया।


हालांकि, इस बातचीत में रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर पर कोई सहमति नहीं बनी। ट्रम्प ने कहा कि फिलहाल सीजफायर संभव नहीं है।


पुतिन से फोन पर बातचीत

ट्रम्प ने मीटिंग के दौरान पुतिन से 40 मिनट तक फोन पर बात की। इस बातचीत में पुतिन ने रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच सीधे संवाद का समर्थन किया।


जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यूक्रेन सुरक्षा गारंटी के बदले यूरोप के पैसे से 90 अरब डॉलर के अमेरिकी हथियार खरीदेगा। इस बातचीत में कई यूरोपीय देशों के नेता भी शामिल हुए।


अतिरिक्त जानकारी

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