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अमेरिका ने भारत के लिए टैरिफ निलंबन की अवधि बढ़ाई, व्यापारिक संबंधों में नई उम्मीदें

अमेरिका ने भारत के लिए पारस्परिक शुल्कों के निलंबन की अवधि को 1 अगस्त 2025 तक बढ़ा दिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को अस्थायी राहत मिली है। यह निर्णय अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निलंबन अमेरिका की सकारात्मक मंशा को दर्शाता है और व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने का एक अवसर प्रदान करता है। जानें इस निर्णय के पीछे की वजहें और निर्यातकों की प्रतिक्रियाएं।
 

टैरिफ निलंबन की नई समयसीमा

अमेरिका ने 2 अप्रैल को घोषित पारस्परिक शुल्कों (टैरिफ) के निलंबन की अवधि को 1 अगस्त 2025 तक बढ़ा दिया है। पहले यह निलंबन 9 जुलाई को समाप्त होने वाला था, लेकिन अब भारतीय निर्यातकों को अस्थायी राहत मिली है। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इस निर्णय की जानकारी दी, जो वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त इनपुट और व्यापारिक भागीदारों के साथ चल रही बातचीत के आधार पर लिया गया है।


भारत को अस्थायी सूची से बाहर रखा गया

ट्रंप प्रशासन द्वारा 1 अगस्त से लागू होने वाले टैरिफों की आधिकारिक अधिसूचना कुछ देशों को भेजी गई, जिसमें भारत का नाम शामिल नहीं था। जिन देशों को अधिसूचना मिली, उनमें जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, थाईलैंड, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। भारत का इस सूची से बाहर रहना इस बात का संकेत है कि अमेरिका भारत के साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखना चाहता है।


2 अप्रैल की घोषणा

राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत पर 26% पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था ताकि बातचीत का अवसर मिल सके। अब यह निलंबन 1 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे दोनों देशों को व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने का और समय मिल गया है।


निर्यातकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, "यह निलंबन अमेरिका की सकारात्मक मंशा को दर्शाता है और हमारे वार्ताकारों को बाकी मुद्दों को सुलझाने का अवसर देता है।" उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि जुलाई के अंत तक व्यापारिक समझौते (BTA) को अंतिम रूप दिया गया, तो भारत को बड़ा लाभ मिल सकता है.


एक निर्यातक ने कहा कि यह विस्तार "भारतीय टीम को 12-13 अतिरिक्त कार्य दिवस देता है," जो महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने इसे भारत की दृढ़ बातचीत नीति का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, "यह संकेत है कि भारत का रुख असरदार रहा है।"


निर्यातकों की चेतावनी

टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के संस्थापक शरद कुमार सराफ ने व्यापारियों को चेतावनी दी कि वे इस अस्थायी राहत से संतुष्ट न हों। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप अप्रत्याशित निर्णय ले सकते हैं। हमें नए बाजारों की तलाश जारी रखनी चाहिए।"


व्यापार समझौते की दिशा में कदम

भारत और अमेरिका इस समय एक व्यापक व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं। इसका पहला चरण इस साल सितंबर-अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है। फिलहाल, दोनों देश एक अंतरिम समझौते पर काम कर रहे हैं। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने अमेरिका को भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी है, अब आगे की कार्रवाई अमेरिका को करनी है।


भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की स्थिति

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर रहा है। 2021-22 से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है.