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अमेरिका: भारतीय दवाओं का प्रमुख खरीदार, टैरिफ से उद्योग पर असर

अमेरिका ने भारतीय दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 1 अक्टूबर से लागू होगा। यह टैक्स केवल पेटेंट वाली दवाओं पर लागू होगा, लेकिन इससे जेनेरिक दवाओं पर भी असर पड़ने की संभावना है। भारत, जो दुनिया का प्रमुख जेनेरिक दवा उत्पादक है, अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। जानें इस टैरिफ के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारतीय दवा उद्योग पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव


अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ का संभावित प्रभाव


भारत उन देशों में शामिल है जो दवाओं का सबसे अधिक निर्यात करते हैं। भारतीय दवाएं मुख्य रूप से अमेरिका, यूके, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड और फ्रांस को भेजी जाती हैं। अमेरिका भारतीय दवाओं का सबसे बड़ा खरीदार है, जहां 2024-25 में 31% दवाएं अमेरिका को निर्यात की गईं। भारत ने 2024 में अमेरिका को $3.6 बिलियन की दवाएं भेजीं, और 2025 के पहले छह महीनों में यह आंकड़ा $3.7 बिलियन तक पहुंच गया है।


ट्रंप का 100% टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो एक अक्टूबर से लागू होगा। यह टैक्स केवल पेटेंट वाली दवाओं पर लागू होगा, लेकिन इससे जेनेरिक दवाओं और विशेष दवाओं पर भी असर पड़ने की आशंका है। यदि ऐसा होता है, तो भारतीय दवा कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।


टैरिफ का कारण

राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि यदि दवा कंपनियां अमेरिका में उत्पादन नहीं करती हैं, तो उन्हें यह टैक्स चुकाना होगा। अमेरिका हर साल लगभग $233 बिलियन की दवाएं आयात करता है। यदि दवाओं की कीमतें दोगुनी हो जाती हैं, तो यह अमेरिकी नागरिकों के लिए समस्या पैदा कर सकता है।


भारत: दवाओं का वैश्विक निर्यातक

भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है, क्योंकि यह जेनेरिक दवाओं का प्रमुख उत्पादक है। वर्तमान में, दुनिया में बनने वाली 20% जेनेरिक दवाएं भारत में निर्मित होती हैं, और भारत 60% वैक्सीन का भी उत्पादन करता है। अमेरिका ने भारत में दवा निर्माण के लिए कई प्लांट्स को मंजूरी दी है।