आरकॉम के लिए नई चुनौतियाँ: बैंक ऑफ बड़ौदा ने घोषित किया धोखाधड़ी
आरकॉम की वित्तीय स्थिति में गिरावट
नई दिल्ली: कर्ज में फंसी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने कंपनी के ऋण खातों को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया है। यह कार्रवाई उन ऋणों से संबंधित है जो कंपनी की दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने से पहले लिए गए थे।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुक्रवार को इस संबंध में स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया। इससे पहले, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया ने भी आरकॉम के खातों को धोखाधड़ी के रूप में घोषित किया था।
आरकॉम ने इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है, जिसमें कहा गया है कि ये सभी ऋण दिवाला प्रक्रिया शुरू होने से पहले के हैं और इनका निपटारा समाधान योजना के तहत किया जाएगा। वर्तमान में, कंपनी का प्रबंधन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनीश निरंजन ननावटी के पास है, और अनिल अंबानी अब कंपनी के निदेशक मंडल में नहीं हैं। कंपनी ने बताया कि ऋणदाताओं की समिति (CoC) द्वारा समाधान योजना को मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
आरकॉम ने यह भी स्पष्ट किया कि दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (IBC) के तहत कंपनी के खिलाफ किसी नई कानूनी कार्रवाई पर रोक है। बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम पर कंपनी कानूनी सलाह ले रही है।
यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़े लगभग 17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण घोटाले की जांच कर रहा है। ईडी ने इस मामले में 12 से 13 बैंकों से रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, आरकॉम और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस से संबंधित ऋणों का ब्यौरा मांगा है।
यह ध्यान देने योग्य है कि जून 2024 में एसबीआई और 24 अगस्त को बैंक ऑफ इंडिया ने भी आरकॉम के खातों को धोखाधड़ी के रूप में घोषित किया था। बैंक ऑफ इंडिया ने फंड के कथित डायवर्जन और ऋण शर्तों के उल्लंघन का हवाला दिया था।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा है कि वह इस कार्रवाई की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य संबंधित नियामकों को सौंपेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल आरकॉम की दिवाला प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है, बल्कि यह बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के समाधान की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।