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आरबीआई ने नीतिगत दरों को स्थिर रखा, वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के बीच

भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ रही है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह निर्णय वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लिया गया है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएं क्या हैं।
 

आरबीआई का निर्णय: स्थिरता की ओर एक कदम

बुधवार, 6 अगस्त, 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों और संभावित उच्च टैरिफ के चलते बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। यह निर्णय उस समय आया है जब वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ रहा है, जिससे विकासशील देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।


आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि छह सदस्यीय दर-निर्धारण पैनल ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक फिलहाल दरों में न तो कटौती करने की योजना बना रहा है और न ही बढ़ाने की, बल्कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।


मल्होत्रा ने यह भी कहा कि फरवरी 2025 में की गई 100 आधार अंक की दर कटौती का प्रभाव अभी भी महसूस किया जा रहा है। उन्होंने टैरिफ की अनिश्चितताओं को इस निर्णय का एक प्रमुख कारण बताया, जिससे आरबीआई किसी भी बड़े बदलाव से बचना चाहता है जब तक वैश्विक व्यापार का परिदृश्य स्पष्ट नहीं हो जाता।


विकास की संभावनाएं: सेवा क्षेत्र में वृद्धि

आरबीआई गवर्नर ने विकास के दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए कहा कि सेवा क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "आने वाले महीनों में निर्माण और व्यापार में निरंतर वृद्धि के साथ सेवा क्षेत्र में तेजी बनी रहने की संभावना है।" हालांकि, बाहरी मांग की संभावनाएं अनिश्चित बनी हुई हैं, जो टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के कारण है।


मल्होत्रा ने अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों का सीधे उल्लेख नहीं किया, लेकिन उनका संदर्भ स्पष्ट था। पिछले महीने, ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा, उन्होंने नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी भी दी थी। ये नीतियां भारत के व्यापार संतुलन और आर्थिक विकास पर दबाव डाल सकती हैं।


निवेशकों के लिए सलाह: समझदारी से निवेश करें

आरबीआई का यह निर्णय वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच भारत की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ऐसे समय में, जब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दिशा लगातार बदल रही है, आरबीआई का सतर्क रुख भारतीय बाजार को अप्रत्याशित झटकों से बचाने में मदद कर सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानी बरतें और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें जो घरेलू मांग से प्रेरित हैं।