आरबीआई ने मौद्रिक नीति में बदलाव नहीं किया, मुद्रास्फीति में गिरावट के संकेत
आरबीआई का स्थिर मौद्रिक नीति निर्णय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 6 अगस्त, 2025 को अपनी मौद्रिक नीति में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के बीच आया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस बात की पुष्टि की कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय इस वर्ष की शुरुआत में की गई दर कटौती के बाद आया है।गवर्नर ने बताया कि एमपीसी ने 'तटस्थ रुख' बनाए रखने का निर्णय लिया है। पहले, फरवरी में 25 बीपीएस, अप्रैल में 25 बीपीएस और जून में 50 बीपीएस की दर में कटौती की गई थी। इन कटौतियों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाना और विकास को प्रोत्साहित करना था। अब, केंद्रीय बैंक 'इंतजार करो और देखो' की रणनीति पर चल रहा है।
मल्होत्रा ने कहा कि "मध्यम अवधि में, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित शक्तियों के बल पर उज्ज्वल संभावनाएं रखती है।" यह बयान दर्शाता है कि आरबीआई को भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक वृद्धि पर भरोसा है, भले ही अल्पकालिक चुनौतियां मौजूद हों।
महंगाई में कमी के संकेत
महंगाई के मोर्चे पर, गवर्नर ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत करने की घोषणा की। यह भारतीय उपभोक्ताओं और उद्योगों के लिए सकारात्मक संकेत है, जिससे क्रय शक्ति में सुधार और उत्पादन लागत में कमी की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून और त्योहारी सीजन से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। कृषि उत्पादन में वृद्धि और उपभोक्ता खर्च में उछाल अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है।
गवर्नर ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के बावजूद, सरकार और आरबीआई की सहायक नीतियों के समर्थन से भारतीय अर्थव्यवस्था के मध्यम अवधि में मजबूत वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है।
सीपीआई में गिरावट: एक महत्वपूर्ण उपलब्धि
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुख्य मुद्रास्फीति जून 2025 में लगातार आठवें महीने गिरकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो दर्शाती है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति और सरकार के प्रयासों से महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।
इसके अलावा, खाद्य मुद्रास्फीति ने जून में नकारात्मक आंकड़ा दर्ज किया, जो -0.2 प्रतिशत रहा। खाद्य कीमतों में गिरावट आम आदमी की जेब पर सकारात्मक प्रभाव डालती है और समग्र मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।