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आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की, लोन लेना हुआ सस्ता

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की है, जिससे लोन की लागत में कमी आई है। यह निर्णय मजबूत आर्थिक विकास और घटती महंगाई के बीच लिया गया है। मौद्रिक नीति समिति ने जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.3% किया है और महंगाई का अनुमान 2% किया है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

आरबीआई की नई मौद्रिक नीति

अगर आप नया घर, गाड़ी या व्यक्तिगत लोन लेने की योजना बना रहे हैं या ईएमआई के बोझ से परेशान हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज प्रमुख नीतिगत दर, जिसे रेपो रेट कहा जाता है, में 25 आधार अंकों की कमी करते हुए इसे 5.25% पर निर्धारित किया है। यह निर्णय मजबूत आर्थिक विकास और घटती महंगाई के बीच लिया गया है। इस बदलाव के साथ, उम्मीद की जा रही है कि बैंक अब होम लोन, कार लोन, व्यक्तिगत लोन और छोटे व्यवसाय लोन पर ब्याज दरें कम करेंगे। इसके अलावा, ब्याज दरों में कमी से जमा दरों में भी गिरावट की संभावना है.


आर्थिक विकास और महंगाई के आंकड़े

मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 50 आधार अंक बढ़ाकर 7.3% कर दिया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई का अनुमान 2.6% से घटाकर 2% किया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि रुपये में गिरावट के बावजूद, छह-सदस्यीय एमपीसी ने विकास और महंगाई के संकेतकों का आकलन करते हुए रेपो दर घटाने का निर्णय लिया।


जीडीपी वृद्धि और महंगाई में कमी

जुलाई से सितंबर 2025 की तिमाही में जीडीपी 8.2% बढ़ी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 5.6% से काफी अधिक है। खुदरा महंगाई में भी उल्लेखनीय कमी आई है। अक्टूबर 2025 में सीपीआई महंगाई 0.25% रही, जबकि सितंबर में यह 1.4% थी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि इस वर्ष भारत में 'तेजी से डिसइन्फ्लेशन' देखने को मिली है। उन्होंने बताया कि आयकर और जीएसटी का सरलीकरण, कच्चे तेल की नरम कीमतें, सरकारी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी और अनुकूल धन-परिस्थितियों ने आर्थिक गतिविधियों को गति दी है।


आर्थिक स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

आरबीआई ने अनुकूल व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए विकास अनुमान बढ़ाया है और महंगाई अनुमान घटाया है। खाद्य आपूर्ति की स्थिति में सुधार, उच्च खरीफ उत्पादन, रबी की अच्छी बुआई, जलाशयों में पर्याप्त पानी और अनुकूल नमी से कीमतों पर दबाव कम हुआ है। ब्रेंट क्रूड भी स्थिर है और वैश्विक कीमतों में नरमी बनी हुई है। आरबीआई ने अपना 'न्यूट्रल' रुख बनाए रखा है, जिसका अर्थ है कि आगे दरें आर्थिक आंकड़ों के आधार पर ऊपर या नीचे जा सकती हैं.


आरबीआई की दर कटौती का महत्व

आरबीआई की यह दर कटौती ऐसे समय में आई है जब भारत तेज़ आर्थिक विकास और ऐतिहासिक रूप से कम महंगाई का संयोजन देख रहा है। यह संतुलन किसी भी उभरती अर्थव्यवस्था में दुर्लभ है। समग्र रूप से, यह दर कटौती संतुलित, सावधान और संकेतात्मक कदम है, जो दर्शाता है कि आरबीआई विकास को समर्थन देना चाहता है, लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य पर भी नजर रखे हुए है.