आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का निर्णय
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के परिणामों की घोषणा की। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की है, जिससे यह 5.50 प्रतिशत से घटकर 5.25 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही, मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' बनाए रखा गया है।
लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय
गवर्नर के अनुसार, आरबीआई 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी सिक्योरिटीज खरीदकर ओपन मार्केट ऑपरेशंस के माध्यम से अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बढ़ाने का प्रयास करेगा। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बैंक 5 बिलियन डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप अरेंजमेंट भी करेगा।
ब्याज दरों में बदलाव
आरबीआई ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) की दर को घटाकर 5 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) की दर को 5.50 प्रतिशत कर दिया है।
आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण
पिछली एमपीसी बैठक में अक्टूबर में रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया गया था। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि का संकेत दे रहे हैं। जीएसटी रेशनलाइजेशन, कृषि में सुधार और कंपनियों के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन जैसे कारक आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देंगे।
जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत लगाया है, जबकि पहले यह 6.8 प्रतिशत था। दिसंबर तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत, मार्च तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत, जून तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान 2 प्रतिशत रखा है, जो पहले 2.6 प्रतिशत था। गवर्नर ने यह भी बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 686 बिलियन डॉलर हो गया है, जो 11 महीने का मजबूत इंपोर्ट कवर प्रदान करता है।
भविष्य की संभावनाएं
गवर्नर ने पिछले सप्ताह संकेत दिया था कि अच्छे मैक्रोइकोनॉमिक संकेतकों के कारण 5 दिसंबर को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की संभावना है।