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आरबीआई ने विदेशी बैंकों के लिए नए नियमों की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी बैंक शाखाओं के लिए नए नियमों की घोषणा की है, जिसमें ऋण प्रबंधन और रिपोर्टिंग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। नए नियमों के तहत बैंकों को जोखिम प्रबंधन नीतियों का पालन करना होगा और उधारकर्ताओं के ऋण मूल्यांकन में समग्र उधारी को ध्यान में रखना होगा। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने अन्य नियमों में भी संशोधन किए हैं, जो व्यापार में सुगमता और नियमन को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए हैं।
 

आरबीआई का नया स्पष्टीकरण

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में विदेशी बैंक शाखाओं द्वारा अपनी समूह संस्थाओं को दिए गए ऋणों के विवेकपूर्ण प्रबंधन के संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी किया है। यह स्पष्टीकरण बृहस्पतिवार को जारी किया गया और इसके साथ ही कई अन्य नियमों में भी संशोधन किए गए हैं।


नए नियमों की मुख्य बातें

संशोधित नियमों के अनुसार, बैंकों को एकल प्रतिपक्ष और परस्पर संबद्ध प्रतिपक्षों के समूहों के लिए जोखिम प्रबंधन नीतियों का पालन करना होगा। इसके अलावा, उन्हें अर्थव्यवस्था के विशिष्ट क्षेत्रों में जोखिम के संकेन्द्रण की निगरानी करने के लिए प्रणालियाँ स्थापित करनी होंगी।


उधारकर्ताओं के लिए मानदंड

नए निर्देशों में यह भी कहा गया है कि बैंकों के पास बहुत बड़े उधारकर्ताओं के लिए निर्णय लेने के अपने मानदंड हो सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसे उधारकर्ताओं के ऋण मूल्यांकन में बैंकिंग प्रणाली से प्राप्त समग्र उधारी को ध्यान में रखना आवश्यक होगा।


अन्य नियमों में संशोधन

इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बैंक ने कई अन्य नियमों में भी संशोधन किए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (वाणिज्यिक बैंक-ऋण सुविधाएं) संशोधन निर्देश 2025 का उद्देश्य घरेलू और निर्यातक आभूषण विक्रेताओं के लिए नियमन को सुव्यवस्थित करना और व्यापार में सुगमता बढ़ाना है।


ऋण सूचना रिपोर्टिंग प्रक्रिया में बदलाव

केंद्रीय बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी सहित विभिन्न विनियमित संस्थाओं के लिए ऋण सूचना रिपोर्टिंग प्रक्रिया से संबंधित मौजूदा निर्देशों में संशोधन करने के लिए 10 नए निर्देश भी जारी किए हैं।