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एशियाई विकास बैंक ने भारत की विकास दर को 6.5 प्रतिशत पर किया संशोधित

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत की विकास दर को 6.5 प्रतिशत पर संशोधित किया है, जो पहले 7 प्रतिशत का अनुमान था। यह बदलाव अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के कारण हुआ है। एडीबी ने कहा कि निर्यात में कमी का असर आने वाले वित्तीय वर्षों में पड़ेगा, लेकिन घरेलू मांग में वृद्धि के कारण इसका प्रभाव सीमित रहेगा। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है, और कैसे यह भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
 

अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव


एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत की आर्थिक विकास दर को 6.5 प्रतिशत तक सीमित करने का अनुमान लगाया है। यह निर्णय अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के कारण लिया गया है। एडीबी के एक बयान में कहा गया है कि पहले तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।


पहले का अनुमान और वर्तमान स्थिति

एडीबी ने अप्रैल में भारत की विकास दर को 7 प्रतिशत के रूप में अनुमानित किया था, लेकिन जुलाई में अमेरिकी टैरिफ के कारण इसे घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया। एडीबी ने यह भी बताया कि टैरिफ के लागू होने से निर्यात में कमी का असर वित्त वर्ष 26 और 27 में भारत के जीडीपी पर पड़ेगा। हालांकि, निर्यात की कम हिस्सेदारी और अन्य देशों के साथ निर्यात में वृद्धि के कारण इसका प्रभाव सीमित रहेगा।


अन्य एजेंसियों के अनुमान

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने भी भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है। एजेंसी ने मजबूत घरेलू मांग और अनुकूल मानसून का हवाला दिया है।


मुख्य आर्थिक सलाहकार की भविष्यवाणी

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि आने वाले समय में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। उन्होंने जीएसटी 2.0 को एक महत्वपूर्ण सुधार बताया, जो घरेलू मांग को बढ़ावा देगा।


शेयर बाजार की स्थिति

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