कपास की फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय
कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी और हरे तेले का खतरा
कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी, हिसार। बारिश के मौसम में कपास की फसल को गुलाबी सुंडी और हरे तेले से खतरा बढ़ जाता है। किसानों को फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए ताकि नुकसान से बचा जा सके। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि इन कीटों से फसल की रक्षा के लिए सही समय पर छिड़काव करना आवश्यक है। यदि फसल में 5% फल प्रभावित दिखाई दें या ट्रैप में प्रति रात 5-8 गुलाबी सुंडी पाई जाएं, तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
गुलाबी सुंडी से बचाव के उपाय
किसानों को हर सप्ताह 100 फूलों और 20 हरे टिंडों की जांच करनी चाहिए। यदि 5% फल प्रभावित हों, तो 800-900 मिलीलीटर क्विनलफॉस (एकालक्स) 25 ईसी या 600-700 मिलीलीटर प्रोफेनोफास 50 ईसी को 175-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर 10-12 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।
हरा तेला और सफेद मक्खी का प्रकोप
अगस्त के महीने में हरे तेले का खतरा बढ़ जाता है। यदि प्रति पत्ता 2 शिशु तेला दिखाई दें, तो 60 ग्राम फ्लॉनिकामिड (उलाला) 50 डब्लूजी या 400 मिलीलीटर एफीदोपयरोपेन (सैफीना) 50 जी/एल को 175-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। सफेद मक्खी के लिए, जब प्रति पत्ता 8 प्रौढ़ दिखाई दें, तो 240 मिलीलीटर स्पाईरोमेसीफेन (ओबेरॉन) 240 एससी या 400 मिलीलीटर पाइरीप्रोक्सीफेन डायटा 10 ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
कोणदार धब्बों से बचाव के उपाय
फसल को कोणदार धब्बों की बीमारी से बचाने के लिए अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने सलाह दी है कि 30-40 ग्राम प्लांटोमाइसिन या 6-8 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 600-800 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति एकड़ के घोल का 15-20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। 2,4-डी कपास के लिए हानिकारक है। यदि इससे पौधे प्रभावित हों, तो 15 सेमी तक प्रभावित कोंपलों को काट दें और 2.5% यूरिया व 0.5% जिंक सल्फेट के घोल का छिड़काव करें।