×

कम आय वाले करदाताओं के लिए टीडीएस रिफंड प्रक्रिया में बदलाव

सरकार ने टीडीएस रिफंड प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्णय लिया है, जिससे कम आय वाले करदाताओं को राहत मिलेगी। अब उन्हें पूरा आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। नए नियमों के तहत, करदाताओं को केवल एक सरल फॉर्म भरकर रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाएगी। यह प्रक्रिया 2026 से लागू होने की संभावना है, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा। जानें इस नई पहल के बारे में अधिक जानकारी।
 

सरकार की नई पहल

वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर आई है। अब उन्हें टीडीएस रिफंड प्राप्त करने के लिए पूरा आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार इस प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में कदम उठा रही है। आगामी आयकर विधेयक 2025 में इस संबंध में विशेष प्रावधान किए जाएंगे।


टीडीएस का अर्थ है 'स्रोत पर कर कटौती', जिसका तात्पर्य है कि आपकी आय (जैसे वेतन, ब्याज, कमीशन) पर कर काटने के बाद ही आपको राशि प्राप्त होती है। यह राशि सरकार के पास जमा होती है। यदि आपकी कुल आय कर योग्य सीमा से कम है या आपने निवेश के माध्यम से कर बचाया है, तो आपको काटे गए अतिरिक्त टीडीएस को वापस पाने के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना पड़ता है।


एक रिपोर्ट के अनुसार, एक समिति ने सुझाव दिया है कि कम आय वाले करदाताओं के लिए टीडीएस रिफंड का दावा करना अनावश्यक और कठिनाई भरा है। इसलिए, समिति ने सिफारिश की है कि ऐसे करदाताओं को अपने फॉर्म 26AS के आधार पर एक सरल फॉर्म भरकर रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए।


इस नई सुविधा के तहत, आपको पूरा आईटीआर दाखिल करने की बजाय केवल एक सरल फॉर्म भरना होगा, जिसमें फॉर्म 26AS से टीडीएस डेटा अपने आप शामिल हो जाएगा। यह नया फॉर्म केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा तैयार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रक्रिया को तेज करना और पूरा रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता को समाप्त करना है।


नए कर ढांचे के तहत, वर्तमान में 12.75 लाख रुपये प्रति वर्ष तक की आय कर-मुक्त है। अक्सर, कंपनियां निवेश या व्यय के दस्तावेज न जमा करने पर कर्मचारियों से टीडीएस काट लेती हैं। ऐसे में, कम आय वाले व्यक्तियों को इस कटे हुए टीडीएस को वापस पाने के लिए पूरा आईटीआर दाखिल करना पड़ता था, जो एक बड़ा कार्यभार था। अब यह कार्यभार जल्द ही कम होने की उम्मीद है।


समिति ने डेटा एक्सेस पर भी कुछ सुझाव दिए हैं। कर प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए, नए विधेयक में यह स्पष्ट किया जाएगा कि आयकर अधिकारियों को करदाताओं के डिजिटल उपकरणों, रिकॉर्ड और आय-व्यय के आंकड़ों तक पहुँच होनी चाहिए।


ये नए नियम संसद के बजट सत्र 2025-26 में आयकर विधेयक पारित होने के बाद 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने की संभावना है। इससे लाखों कम आय वाले करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।