काले गेहूं की खेती: जानें टॉप 3 किस्में और मुनाफा
काले गेहूं की खेती के लिए बेहतरीन किस्में
काले गेहूं की खेती: दिल्ली: नवंबर का महीना आ चुका है और किसान रबी सीजन की मुख्य फसल, गेहूं की बुवाई में जुटे हैं। यदि किसान काले गेहूं की तीन प्रमुख किस्मों- नाबी एमजी (NABI MG), HI 8759 (पूसा तेजस) और ST 3236 का चयन करते हैं, तो वे सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक लाभ कमा सकते हैं।
आज हम काले गेहूं की इन तीन किस्मों के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं, जिनकी खेती से किसान बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं। काले गेहूं की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में की जाती है। इसके अलावा, कुछ अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती होती है।
इन प्रमुख किस्मों में नाबी एमजी (NABI MG), HI 8759 (पूसा तेजस), और ST 3236 शामिल हैं। ये किस्में क्षेत्र के अनुसार किसानों को अच्छी उपज दे सकती हैं और इनमें कई औषधीय गुण भी होते हैं, जिसके कारण किसान इन्हें अपनाने लगे हैं।
काले गेहूं की उन्नत किस्में
काले गेहूं की उन्नत किस्में- Black Wheat Farming
नाबी एमजी (NABI MG) गेहूं की यह किस्म पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (NABI) द्वारा विकसित की गई है। किसान इस किस्म की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच कर सकते हैं।
इस किस्म में उच्च गुणवत्ता वाले पोषक तत्व जैसे एंथोसायनिन, प्रोटीन, आहार फाइबर, आयरन और जिंक की अधिक मात्रा होती है, जो मोटापा, कैंसर, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव में मदद करती है। काले गेहूं की यह किस्म 130 से 140 दिनों में 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज दे सकती है। मुख्य क्षेत्र जहां यह किस्म उगाई जाती है: उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान।
HI 8759 (पूसा तेजस) काले गेहूं की यह किस्म किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इसे पकने में केवल 110 से 125 दिनों का समय लगता है और इसके लिए 4 से 5 सिंचाई पर्याप्त होती हैं।
इस किस्म का अधिकतर उपयोग दलिया, सूजी, पास्ता, नूडल्स और मैकरोनी जैसे उत्पादों में होता है। यदि किसान इस किस्म की खेती करते हैं, तो प्रति हेक्टेयर लगभग 56.9 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य क्षेत्र जहां यह किस्म उगाई जाती है: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात। कुछ क्षेत्रों में कर्नाटक में भी इसका उत्पादन किया जाता है।
ST 3236 काले गेहूं की यह किस्म सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक पौष्टिक मानी जाती है। इसे उच्च गुणवत्ता वाली किस्म माना जाता है। इस किस्म के सेवन से मधुमेह और हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम होता है क्योंकि इसमें आयरन, मैग्नीशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।
यदि इस किस्म की बुवाई की जाए, तो यह 57.5 से 79.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। यह किस्म करनाल बंट, पाउडरी मिल्ड्यू और लूज़ स्मट के लिए प्रतिरोधी है और 142 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। मुख्य क्षेत्र जहां यह किस्म उगाई जाती है: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली। इसके अलावा, उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों के लिए भी यह किस्म उपयुक्त है।
किसानों को कितना होगा मुनाफा?
किसानों को कितना होगा मुनाफा?
यदि किसान काले गेहूं की इन किस्मों की रबी सीजन में बुवाई करते हैं, तो वे बंपर कमाई कर सकते हैं। बाजार में इस गेहूं की कीमत सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक है। काले गेहूं की कीमत लगभग 4,000 रुपए से 6,000 रुपए प्रति क्विंटल है। इसका मतलब है कि सामान्य गेहूं की तुलना में दोगुना मुनाफा। यही कारण है कि किसान काले गेहूं की इन किस्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अधिक लाभ कमा रहे हैं।