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केंद्र सरकार उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को बनाए रख सकती है: रिपोर्ट

केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2026-27 के बजट में उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने पर जोर दे सकती है। एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह निर्णय देश की आर्थिक विकास की दिशा को प्रभावित करेगा। जीएसटी सुधारों के माध्यम से कर प्रणाली में संतुलन लाने की कोशिश की जा रही है। रिपोर्ट में दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है।
 

आर्थिक विकास की दिशा तय करेगा बजट


रिपोर्ट में किया गया दावा, सरकार के फैसले से तय होगी अर्थव्यवस्था के विकास की चाल


बिजनेस डेस्क : वर्तमान में भारत सहित कई देशों को वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों और अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की गति बनी हुई है। नए साल के आगमन के साथ, केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2026-27 का बजट पेश करने की तैयारी कर रही है। इस बजट में प्रत्यक्ष कर आधार को विस्तारित करने, निजी निवेश को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास को तेज करने और रोजगार के अवसरों को सृजित करने के लिए उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने पर जोर दिया जा सकता है।


जीएसटी सुधारों से मिला नया संतुलन

थिंक चेंज फोरम (टीसीएफ) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जल्द ही केंद्रीय बजट 2026-27 पेश करेगा। इसमें सरकार के निर्णय यह निर्धारित करेंगे कि देश की कराधान प्रणाली दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए सहायक बनती है या नहीं।


जीएसटी सुधारों से मिला नया संतुलन


रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी 2.0 के तहत हाल के सुधारों ने यह सिद्ध कर दिया है कि मजबूत राजस्व वृद्धि के साथ कर प्रणाली का सरलीकरण और टैक्स दरों में संतुलन संभव है। इससे यह धारणा भी चुनौती मिली है कि कर संग्रह बढ़ाने के लिए उच्च टैक्स दरें आवश्यक होती हैं। नीति-निर्माताओं के लिए छह सूत्री सलाह दी गई है, जिसमें प्रत्यक्ष करों, प्रवर्तन और निवेश नीति तक जीएसटी सुधारों के सिद्धांतों का विस्तार करने का आग्रह किया गया है।


दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करना जरूरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बजट में दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अर्थशास्त्र के संतुलन सिद्धांत के अनुसार उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने की प्रतिबद्धता जतानी चाहिए। साथ ही, राजस्व जुटाने का जोर टैक्स दरें बढ़ाने के बजाय कर आधार के विस्तार पर होना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कर-जीडीपी अनुपात में सुधार के लिए प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करना अत्यंत आवश्यक है। भारत की 140 करोड़ की जनसंख्या में केवल 2.5 से 3 करोड़ प्रभावी करदाता हैं।


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