क्या भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का कारण विदेशी निवेशक हैं? जानें पूरी कहानी
शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला
नई दिल्ली : भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार तीसरे दिन गिरावट का सामना करना पड़ा है। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में लगभग 19 घंटे के भीतर बाजार को भारी नुकसान हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, सेंसेक्स में 750 अंकों से अधिक की कमी आई, जबकि निफ्टी 271 अंकों तक गिर गया। शुक्रवार को सेंसेक्स ने 640 अंकों की गिरावट दर्ज की, और निफ्टी में 191 अंकों की कमी आई। हालांकि, दोनों सूचकांक दिन के कारोबार के दौरान कुछ हद तक रिकवरी करने में सफल रहे, लेकिन अंततः हरे निशान में बंद नहीं हो सके। इस अवधि में निवेशकों को कुल मिलाकर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
विदेशी निवेशकों का प्रभाव
विदेशी निवेशकों और वैश्विक मार्केट का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली का बड़ा हाथ है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अब तक 6,214 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे हैं और जुलाई से अब तक कैश सेगमेंट में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली की है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में गिरावट भी भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाल रही है, खासकर अमेरिका और एशिया के प्रमुख शेयर बाजारों के कमजोर प्रदर्शन के कारण।
आर्थिक संकेतक और बाजार की अस्थिरता
इकोनॉमिक इंडिकेटर्स और बाजार की अस्थिरता
हालिया आर्थिक आंकड़े भी शेयर बाजार को समर्थन नहीं दे रहे हैं। चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.8% की वृद्धि दर के साथ बढ़ा, जबकि नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 8.8% रह गई। अगस्त में सर्विस सेक्टर की गतिविधियाँ 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं, जो बाजार में अनिश्चितता और निवेशकों के सतर्क रवैये को दर्शाती हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता
भारत-अमेरिका ट्रेड डील और अनिश्चितता
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता भी निवेशकों की चिंता का कारण बनी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध होने के बावजूद, व्यापार समझौते के अंतिम रूप न होने से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
तकनीकी और कमोडिटी सेक्टर की भूमिका
तकनीकी और कमोडिटी सेक्टर की भूमिका
वैश्विक स्तर पर इस साल तेजी मुख्य रूप से तकनीकी और कमोडिटी कंपनियों के कारण रही है। एआई टेक्नोलॉजी को लेकर निवेशकों में आशावाद बढ़ा, लेकिन भारत में इन सेक्टरों में मजबूत कंपनियों की कमी ने बाजार की प्रदर्शन क्षमता को सीमित किया है। तीन दिनों की लगातार गिरावट से यह स्पष्ट है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाजार की कमजोरी, आर्थिक आंकड़ों की अस्थिरता और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता मिलकर भारतीय शेयर बाजार में दबाव बना रही हैं। निवेशकों के लिए सावधानी और रणनीतिक निर्णय अब पहले से अधिक जरूरी हो गए हैं।