×

गेहूं के दाम में अचानक गिरावट: जानें कारण और वर्तमान स्थिति

हाल ही में गेहूं के दाम में अचानक गिरावट आई है, जिसके पीछे कई कारण हैं। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के बावजूद, अब किसानों को कम दाम मिल रहे हैं। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और किसानों की वर्तमान चुनौतियों के बारे में।
 

गेहूं के दाम में गिरावट का कारण


गेहूं के दाम में गिरावट।हाल ही में सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की थी, और कुछ राज्यों में किसानों को बोनस भी दिया जा रहा था। इससे किसानों को गेहूं बेचने में अच्छे दाम मिल रहे थे। लेकिन अब अचानक गेहूं के दाम में गिरावट आई है।


 


पिछले कुछ दिनों में गेहूं के दाम में वृद्धि देखी गई थी, लेकिन अब एक ही दिन में दाम में भारी गिरावट आई है। विशेषज्ञों ने इस स्थिति के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण बताए हैं। मंडियों में किसानों को अब पहले से कम लाभ मिल रहा है।


 


गेहूं के दाम में गिरावट के कारण



विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं के दाम में गिरावट का मुख्य कारण सरकारी खरीद का बंद होना है। इसके अलावा, बारिश के मौसम ने भी गेहूं की कीमतों को प्रभावित किया है।


 


हालांकि, उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं के दाम स्थिर हैं, लेकिन निम्न गुणवत्ता वाले गेहूं के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गए हैं।


 


किसान गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं



इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। यूपी, एमपी और राजस्थान में किसानों को प्रति क्विंटल बोनस भी मिल रहा था। लेकिन अब सरकारी खरीद बंद होने से किसान गेहूं को स्टॉक करने पर मजबूर हो रहे हैं।


 


हालांकि, निजी व्यापारी गेहूं की खरीद कर रहे हैं, लेकिन वे गुणवत्ता के अनुसार दाम तय कर रहे हैं, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।


 


वर्तमान में गेहूं का दाम


 



कई राज्यों में गेहूं के दाम 2425 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं। कुछ स्थानों पर दाम इससे अधिक या कम भी हो सकते हैं। कई किसान निजी व्यापारियों से 2900 रुपये प्रति क्विंटल तक दाम प्राप्त कर रहे हैं।


 


किसानों की उम्मीदें



उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की मंडियों में जून के प्रारंभ से गेहूं के दाम में वृद्धि देखी गई थी, लेकिन अब दाम में कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति कुछ दिनों तक बनी रह सकती है, और बाद में बाजार की मांग और सरकारी नीतियों के अनुसार दाम बढ़ सकते हैं। किसान भी इस बदलाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।