गोपीचंद हिंदुजा का निधन: एक युग का अंत
गोपीचंद हिंदुजा का निधन
नई दिल्ली: ब्रिटेन के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक, हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद परमानंद हिंदुजा का मंगलवार को 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस दुखद समाचार की पुष्टि ब्रिटिश हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड रामी रेंजर ने की।
लॉर्ड रामी रेंजर का संवेदनशील संदेश
लॉर्ड रेंजर ने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश साझा करते हुए कहा, 'भारी मन से मैं यह दुखद समाचार साझा कर रहा हूं कि हमारे प्रिय मित्र श्री जीपी हिंदुजा अब हमारे बीच नहीं रहे। वे विनम्रता, उदारता और निष्ठा के प्रतीक थे।' उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुजा ने न केवल व्यापार में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।
समर्पण और योगदान की याद
रामी रेंजर ने आगे कहा कि उन्होंने गोपीचंद हिंदुजा को कई वर्षों तक जाना और उनके व्यक्तित्व में अनोखा संयम और विनोदप्रियता थी। उन्होंने कहा, 'वे हमेशा समुदाय और भारत के लिए समर्पित रहे और हर अच्छे कार्य में सहयोग दिया। उनके जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है, उसे भरना कठिन होगा।' रेंजर ने अंत में लिखा, 'ओम शांति।'
ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति
जीपी हिंदुजा ने लगातार सात वर्षों तक द संडे टाइम्स रिच लिस्ट में ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति का शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उनके नेतृत्व में हिंदुजा ग्रुप ने ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, आईटी, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की। वे भारतीय मूल के उन गिने-चुने व्यवसायियों में से थे जिन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की साख को नई ऊंचाई दी।
हिंदुजा ग्रुप की वैश्विक पहचान
हिंदुजा परिवार का कारोबार 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है। समूह की स्थापना 1914 में गोपीचंद के पिता परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी। गोपीचंद हिंदुजा ने अपने भाई श्रीचंद हिंदुजा के साथ मिलकर कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वे अपने सादगीपूर्ण जीवन और कर्मप्रधान सोच के लिए जाने जाते थे।
व्यापार और मानवीयता में अग्रणी
गोपीचंद हिंदुजा को व्यापार के साथ-साथ सामाजिक और मानवीय कार्यों के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को समर्थन दिया। ब्रिटिश और भारतीय समाज में उनका योगदान अपार रहा। उनके निधन से वैश्विक व्यापार जगत ने एक प्रेरणादायक नेता खो दिया है।