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चांदी की हॉल मार्किंग: सोने के समान नई पहल

भारत सरकार ने चांदी के आभूषणों की हॉल मार्किंग की योजना की घोषणा की है, जो उपभोक्ताओं को नकली सामान से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 1 सितंबर से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया में चांदी की शुद्धता की पुष्टि के लिए 6 अंकों वाला एचयूआईडी हॉल मार्क लागू किया जाएगा। जानें इस नई पहल के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

सरकार की नई योजना से उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ


सरकार उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए नई योजना लागू कर रही है।


अब तक, भारत में केवल सोने के आभूषणों की हॉल मार्किंग होती थी, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को नकली सोने से सुरक्षित रखना था। हाल ही में, केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत चांदी के आभूषणों की भी हॉल मार्किंग की जाएगी। इस निर्णय का मुख्य कारण यह है कि चांदी की कीमतें वर्तमान में 1 लाख 10 हजार रुपये के स्तर को पार कर चुकी हैं, जिससे चांदी में मिलावट की संभावना बढ़ गई है।


चांदी की हॉल मार्किंग की प्रक्रिया

चांदी की हॉल मार्किंग 1 सितंबर से स्वैच्छिक रूप से शुरू होगी। यह प्रक्रिया सोने की तरह ही 6 ग्रेड चांदी की ज्वेलरी पर लागू होगी। चांदी पर 6 अंकों वाला एचयूआईडी हॉल मार्किंग लागू किया जाएगा, जो ज्वेलरी की शुद्धता की पुष्टि करेगा। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा।


सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से सोने और उसके आभूषणों पर अनिवार्य हॉल मार्किंग लागू की थी। हॉल मार्किंग एक सरकारी प्रमाणपत्र है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आपकी चांदी या सोने की ज्वेलरी कितनी शुद्ध है। जैसे सोने में 22 कैरेट या 18 कैरेट का हॉल मार्क होता है, वैसे ही चांदी पर भी एक विशेष निशान होगा, जो उसकी शुद्धता को दर्शाएगा। यह भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जांचा जाएगा, ताकि उपभोक्ताओं को नकली सामान न मिले।


हालांकि, 1 सितंबर 2025 से यह नियम अनिवार्य हो सकता है। शुरुआत में यह स्वैच्छिक होगा, जिसका अर्थ है कि ज्वेलर्स इसे अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। लेकिन भविष्य में इसे अनिवार्य किया जा सकता है, जैसा कि सोने के लिए किया गया था।


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