जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले राज्यों की चिंता बढ़ी
जीएसटी दरों में बदलाव पर राज्यों की चिंताएं
जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक नजदीक है, और इससे पहले, देश के आठ राज्यों की सरकारों ने केंद्र के नए प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया है। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। जीएसटी दरों में संभावित बदलाव को लेकर ये राज्य चिंतित हैं। केंद्र सरकार जीएसटी के टैक्स स्लैब को सरल बनाने की योजना बना रही है, जिसमें 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब रखने का प्रस्ताव है, जबकि कुछ विशेष वस्तुओं पर 40% का टैक्स लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि इस बदलाव से आम जनता और छोटे व्यापारियों पर टैक्स का बोझ कम होगा।हालांकि, विपक्षी दलों की सरकार वाले ये राज्य इस प्रस्ताव को लेकर आशंकित हैं। उनका मानना है कि यदि टैक्स दरें बदली गईं, तो उनके राज्यों को गंभीर नुकसान हो सकता है। झारखंड के वित्त मंत्री ने कहा है कि उनके राज्य को हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। सभी विपक्षी राज्यों ने मिलकर यह अनुमान लगाया है कि उन्हें सालाना 85,000 करोड़ से लेकर 2 लाख करोड़ रुपये तक का घाटा हो सकता है।
इन राज्यों ने केंद्र सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग की है कि अगले पांच वर्षों तक उनके राजस्व में 14% की वृद्धि की गारंटी दी जाए, ताकि किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई की जा सके। जबकि ये राज्य विरोध कर रहे हैं, एनडीए के सहयोगी राज्य आंध्र प्रदेश ने केंद्र के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि जीएसटी में यह बदलाव होता है, तो इसका असली लाभ किसे मिलेगा? क्या वास्तव में आम जनता को राहत मिलेगी, या इसका लाभ केवल कुछ बड़ी कंपनियों तक सीमित रह जाएगा? यह सवाल इन राज्यों की चिंता का मुख्य कारण है।