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जीएसटी दरों में बदलाव: अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत

जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में दरों में बदलाव को मंजूरी दी है, जिसे सरकार ने दिवाली का तोहफा बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुधार अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। जानें इस बदलाव के संभावित लाभ और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में।
 

विशेषज्ञों का मानना है कि बदलाव आवश्यक था


जीएसटी काउंसिल की बैठक में दरों में बदलाव को मंजूरी


जीएसटी काउंसिल ने वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद जीएसटी दरों में बदलाव को स्वीकृति दी। इस निर्णय से आम जनता और उद्योग जगत में खुशी की लहर है, जिसे देश की आर्थिक स्थिति के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुधार अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं और इससे आर्थिक विकास दर में सुधार होगा।


जीएसटी सुधारों के लाभ

आर्थिक विशेषज्ञों ने जीएसटी स्लैब और दरों के युक्तिकरण को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है। हालिया जीएसटी घोषणाओं से मुद्रास्फीति में कमी आई है, विकास दर में वृद्धि हुई है, उपभोक्ता भावना में सुधार हुआ है, और व्यापार करने में आसानी हुई है।


राजस्व हानि की संभावना

सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों में कटौती से 48,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा। आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि त्योहारी सीजन में जीएसटी युक्तिकरण के पहले कार्यान्वयन के कारण इस वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में मामूली राजस्व हानि हो सकती है।


दिवाली का तोहफा

जीएसटी परिषद ने कई क्षेत्रों में दरों में कटौती को मंजूरी दी है, जिसे सरकार ने दिवाली का तोहफा बताया है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें अब कम होंगी। जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में 12% और 28% की दरों को मिलाकर 5% और 18% की दो स्लैब में तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया गया।


प्रधानमंत्री की घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी दरों में बदलाव की पहली घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह उपहार दिवाली और नवरात्र से पहले होगा। वित्त मंत्री ने बैठक के बाद बताया कि नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।